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________________ पहले साहस, उत्साह और संगठन को आवश्यकता है । मैं तो समाज और देश का सिपाही हूँ तथा पाप महानुभावो की आज्ञा से आया हूँ ! आप निर्णय करके बताइये मुझसे क्या सेवा चाहते हैं। टैक्सो के हटवाने के लिये क्या करना है ? इस विषय मे मेरी सम्मति यह है कि तमाम सम्प्रदायो के जैनो की एक शक्तिशाली समिति बनाई जाय जो इस काम को अपने हाथ मे ले। इसके द्वारा स्थान-स्थान पर स्थानीय समितिया बनाई जाय, ताकि काम सुचारू रूप से किया जाय । विना संगठन के कोई काम सफल नहीं हो सकता। इकके पश्चात् समाज के धनी मानी महानुभावो का एक डेपुटेगन राज्य के अधिकारियो से मिले और उनसे प्रार्थना करे कि वह अनुचित टैक्सो को कम करे जगह-जगह स्वागत ता० २३ जनवरी सन् ४२ को श्री लाला तनसुखरायजी जैन प्रात काल अहमदावाद एक्सप्रेस से अपने मित्र तथा प्रतिनिधि श्रीमती लेखवती जैन, एक्स एम एल. ए श्री. हेमचन्द्र जी जैन चेयरमेन मर्केन्टाइल एसोशियेशन देहली, श्री अजीतप्रसाद जी जैन सुपुत्र लाला महावीर प्रसादजी ठेकेदार देहली, श्री लाला रललाल जी जैन मत्री जैन मित्रमडल, श्री आदीश्वरप्रसाद जी जैन एम ए, डा. नदकिशोर जी, ५० रामलाल जी आदि के साथ रवाना हुए। देहली पर प्रापकी विदाई वडे जोर-शोर के साथ हुई मानो कोई वीर किसी युद्ध मे लड़ाई के लिए जा रहा हो । आपको फूलहारो के साथ विदा किया गया। जयपुर पहुंचते ही यहा के तमाम जैन भाइयो ने आपका शानदार स्वागत किया और सवने यह काफेन्स अच्छी तरह सफल हो इसकी खूब चर्चा की। यहा से गाडी किशनगढ पहुंची। यहा पर भी पहिले ही से आपके स्वागत की अच्छी तैयारी कर रखी थी। गाडी पहुंचते ही सारा प्लेटफार्म जयनारो से गूज उठा । फूलो के हार, चाय प्रादि के साथ आपका स्वागत किया गया। फोटो भी लिये गये । किशनगढ से गाडी अजमेर पहुंची । यहा पर भी फूलहारो से आपका स्वागत किया गया। रात को करीव १२ बजे भाप व्यावर पहुंचे । इस कर्डक सर्दी में इस कान्फ्रेन्स के सयोजक थी. चिमनसिंह जी लोढा, श्री० मोतीलालजी हालाखण्डी आदि स्वागत कारिणी के य व दूसरे जैन भाइयो ने भापका बहुत बढिया स्वागत किया। प्रात काल १० बजे लालाजी का शानदार जुलूस स्टेशन से निकाला गया। जुलूस व्यावर के मुख्य मुख्य बाजारो मे होता हुआ मेवाडी दरवाजे के पास सेठ कुन्दनमलजी लालचन्दजी की बगीची में समाप्त हुआ । रास्ते मे पचासो जगह पान-सुपारी-फूल आदि से आपका स्वागत किया गया व फोटो आदि का भी प्रवन्ध किया गया। रात्रि को ठीक ७॥ गजे पडाल मे भावू मन्दिर टैक्स विरोधी कान्स का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ । प्रथम मगलाचरण के बाद स्वागताध्यम श्रीमान् सेठ तोतालालजी सा० रानीवाले [२५३
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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