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जैनसम्प्रदायशिक्षा हीरो झांखो पड़ गयो, बाग गयो बीलाय ॥ दरपण में दीसे नहीं, कहु चेला किण दाय ॥ १४ ॥
गुरुजी पाणी नहीं ॥ छीपा घर सोभा नहीं, कार्मण पीहर जाय ॥ छयल पांघ नहिं मोलवे, कहु चेला किण दाय ॥१५॥
गुरुजी रंग नहीं । गहुँ सूखै हल हू थकै, बाटै रथ नहिं जाय ॥ चालन्तो ढीलो चलै, कहु चेला किण दाय ॥ १६ ॥
गुरुजी जूतो नहीं । चौपड़ रमे न चौहटें, तीतर जोलां जाय ॥ राज द्वार आदर नहीं, कहु चेला किण दाय ॥ १७ ॥
गुरुजी पैाँसो नहीं । धान पंडयो आटो नहीं, धोरै नौर न जाय ॥ कातणे जोगी भूखां मरै, कहु चेला किण दाय ॥१८॥
गुरुजी फेरी" नहीं ॥ भाभी साल न बांजवे, नौणों लै फिरि जाय ॥ पाँगा ढीला साल में, कहु चेला किण दाय ॥ १९॥
गुरुजी वणियो नहीं । वैणे वुलन्ती लड़यड़े, नार्येण गीत न गाय ॥ भोजन धार जु जीमणो, कहु चेला किण दाय ॥२०॥
गुरुजी दाँते नहीं।
१-हीरा ॥ २-मैला ॥ !-बिगड़ गया ॥ ४-शीशा ॥ ५-दीखता ॥६-सान, जल और आव ॥ -वन छापनेवाला ॥ -रौनक ॥ ९-त्री ॥ १०-मायका ॥ ११-शौकीन ॥ ११-पगडी । १३-मोल लेता है ॥ १४-गनेका रग, प्रीति और रंग ॥ १५-लोहू ॥ १६-मार्ग में ॥ १५-बलना हुआ ॥ १८-सुख ॥ १९-जुता हुआ खेत, जोता हुआ बैल और जूता॥ २०-एक खेल ॥ २१खेलता है ॥ २२-बाजार में ॥ २३-जालवृक्ष ॥ २४-खेलने का पासा, जाल और मुलाकात ॥ २५-अनाज ॥ २६-पडा हुआ ॥ २७-रेत का टीला ॥ २८-पानी ॥ २९-नामविशेष ॥ ३०योगी॥ ३१-चक्की, नाली और फिरकर मांगना ॥ ३२-डेढ ॥ ३३-ताणा ॥ ३४-तानता है। ३५-द्रव्य ॥ ३६-पावा ॥ ३५-छेद मे ॥ ३०-वना हुआ, पनियां और वना हुआ ॥ ३९-बचन । ४०-बोलता हुआ ॥ ४१-गिडगिडाता है ॥ ४२-नाई की स्त्री॥ ४३-गाती है॥ ४-कठिन ।। ४५-दॉत (तीनों में समान जानो)।