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जैनसम्प्रदायशिक्षा |
तीसरा प्रकरण - चेलो गुरु प्रश्नोत्तर |
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गोहूं सुखा खेत में, घोड़ा हींसकराय ॥ पलंग थकी घरे पोढिया, कँहु चेला किण दाय ॥ १ ॥ गुरुजी पायी नहीं ||
पवन पंचारै पतली, कार्मेणि मुख कमलीय ॥ hist चौपड़ लग्यो, कहु चेला किण दाय ॥ २ ॥ गुरुजी सोरी नहीं ॥
रजनी अन्धारो भयो, मिली रात वीर्होय ॥ बांयो खेत न नीपंजो, कहु चेला किण दाय ॥ ३ ॥ गुरुजी ऊँगो नहीं ॥
बेटा कुम्बरा फिरै, कन्त जुलूखी खाय ॥ दीवे" उत्तर ऑपियो, कहु चेला किण दाय ॥ ४ ॥ गुरुजी सम्पत नहीं ॥
प्यो सूं लाई दियो, बलैद पुराणी खाय ॥ रहो सहेज कांबड़ी, कहु चेला किण दाय ॥ ५ ॥ गुरुजी चाल नहीं ॥
हाली खड़े इकाँतरे, पैग अलवणे जाय ॥ बेज गाव एकलो, कहु चेला किण दाय ॥ ६ ॥ गुरुजी जोड़ी नहीं ॥
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पाद का सर्वत्र यही अर्थ समझना चाहिये ) || प्रकार से तीन प्रश्नों के उत्तर सबधी पद के सर्वत्र क्योंकि मारवाडी भाषा में
१- इस चेला गुरु प्रश्नोत्तर के अन्त में दिये हुए नोट को देखिये ॥ २ - गेहू ॥ ३- हिनहिनाता है ॥ ४ - होते हुए भी ॥ ५ - पृथिवी ॥ ६- शयन किया ॥ ७-वतलाभ चेले क्या कारण है ( इस चौथे ८-सींचा हुआ, पानी पिलाया हुआ, खाट का पागा ( इसी ३ अर्थ किये जायगे, वे सर्वत्र क्रम से जान लेना चाहिये, अर्थों का वाचक है ) ॥
९-हवा ॥ :-रखगया
१२-स्त्री ॥
१६ - रात्रि
॥।
१९ - बोया हुआ ॥
११- पतंग ॥ स्त्री, सारी ॥ २१ - चन्द्रोदय, सूर्योदय, और १६-जबाव ॥ २७-दिया ॥ ३२- लकडी खाता है ॥ चाहिये ) ॥ ३६- किसान ॥ ४१ -डोम ही ॥ ४२-गाता है
३४-लकडी ॥।
३७ हल चलाता है ॥ ३८-एक दिन छोड कर ॥ ३९-पैर ॥ ४०-उषाड़े ॥
॥
४३ - अकेला ॥ ४४ - दूसरा बैल, जूते और सहायक ॥
वह एक पद तीनो
१३ - मुर्झा रहा है
१७ - अधेरा उगा हुआ ॥
२२ - कुँवारा ॥ २८-दौलत, एकता और तेल ३३-ऊट ॥
॥
॥
॥
१४ - शुरू की हुई ॥
१८- डरावनी ॥
२३ - खामी ॥
॥
१०-उड़ाती है ॥
१५–खैची, अच्छी
- पैदा हुआ ॥
२४ - रूखा
२०
॥
॥
२९- रुपया
३०- क्यो
३५ - चलता है ( सब मे समान
२५- दीपक ॥
३१- बैल ॥
ही 'जानना