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________________ ७४ जैनसम्प्रदायशिक्षा | तीसरा प्रकरण - चेलो गुरु प्रश्नोत्तर | ase गोहूं सुखा खेत में, घोड़ा हींसकराय ॥ पलंग थकी घरे पोढिया, कँहु चेला किण दाय ॥ १ ॥ गुरुजी पायी नहीं || पवन पंचारै पतली, कार्मेणि मुख कमलीय ॥ hist चौपड़ लग्यो, कहु चेला किण दाय ॥ २ ॥ गुरुजी सोरी नहीं ॥ रजनी अन्धारो भयो, मिली रात वीर्होय ॥ बांयो खेत न नीपंजो, कहु चेला किण दाय ॥ ३ ॥ गुरुजी ऊँगो नहीं ॥ बेटा कुम्बरा फिरै, कन्त जुलूखी खाय ॥ दीवे" उत्तर ऑपियो, कहु चेला किण दाय ॥ ४ ॥ गुरुजी सम्पत नहीं ॥ प्यो सूं लाई दियो, बलैद पुराणी खाय ॥ रहो सहेज कांबड़ी, कहु चेला किण दाय ॥ ५ ॥ गुरुजी चाल नहीं ॥ हाली खड़े इकाँतरे, पैग अलवणे जाय ॥ बेज गाव एकलो, कहु चेला किण दाय ॥ ६ ॥ गुरुजी जोड़ी नहीं ॥ T पाद का सर्वत्र यही अर्थ समझना चाहिये ) || प्रकार से तीन प्रश्नों के उत्तर सबधी पद के सर्वत्र क्योंकि मारवाडी भाषा में १- इस चेला गुरु प्रश्नोत्तर के अन्त में दिये हुए नोट को देखिये ॥ २ - गेहू ॥ ३- हिनहिनाता है ॥ ४ - होते हुए भी ॥ ५ - पृथिवी ॥ ६- शयन किया ॥ ७-वतलाभ चेले क्या कारण है ( इस चौथे ८-सींचा हुआ, पानी पिलाया हुआ, खाट का पागा ( इसी ३ अर्थ किये जायगे, वे सर्वत्र क्रम से जान लेना चाहिये, अर्थों का वाचक है ) ॥ ९-हवा ॥ :-रखगया १२-स्त्री ॥ १६ - रात्रि ॥। १९ - बोया हुआ ॥ ११- पतंग ॥ स्त्री, सारी ॥ २१ - चन्द्रोदय, सूर्योदय, और १६-जबाव ॥ २७-दिया ॥ ३२- लकडी खाता है ॥ चाहिये ) ॥ ३६- किसान ॥ ४१ -डोम ही ॥ ४२-गाता है ३४-लकडी ॥। ३७ हल चलाता है ॥ ३८-एक दिन छोड कर ॥ ३९-पैर ॥ ४०-उषाड़े ॥ ॥ ४३ - अकेला ॥ ४४ - दूसरा बैल, जूते और सहायक ॥ वह एक पद तीनो १३ - मुर्झा रहा है १७ - अधेरा उगा हुआ ॥ २२ - कुँवारा ॥ २८-दौलत, एकता और तेल ३३-ऊट ॥ ॥ ॥ ॥ १४ - शुरू की हुई ॥ १८- डरावनी ॥ २३ - खामी ॥ ॥ १०-उड़ाती है ॥ १५–खैची, अच्छी - पैदा हुआ ॥ २४ - रूखा २० ॥ ॥ २९- रुपया ३०- क्यो ३५ - चलता है ( सब मे समान २५- दीपक ॥ ३१- बैल ॥ ही 'जानना
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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