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________________ जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ अपने २ विशेष्य के साथ विशेषण को मिला दें - तो शीघ्र ही अर्थ समझ में आ जायगा, जैसे एक छोटा लड़का बड़े घोड़े पर बैठा चला जाता है, यद्यपि ऐसे वाक्य अशुद्ध नहीं माने जाते हैं, किन्तु क्लिष्ट माने जाते हैं | १० - जब वाक्य में कर्ता और क्रिया दो ही हों तो कर्ता को उद्देश्य और क्रिया को विधेय २४ कहते हैं ॥ ११ - जिस के विषय में कुछ कहा जावे उसे उद्देश्य कहते हैं और जो कहा नावे उसे विघे कहते है, जैसे- बैल चलता है, यहां बैल उद्देश्य और चलता है यहां विधेय है | १२ - उद्देश्य को विशेषण के द्वारा और विधेय को क्रियाविशेषण के द्वारा बढ़ा सकते हैं, जैसे अच्छा लड़का शीघ्र पढ़ता है ॥ १३- यदि कर्ता को कह कर उसका विशेषण क्रिया के पूर्व रहे तो कर्ता को उद्देश्य और विशेषणसहित क्रिया को विधेय कहेंगे, जैसे- कपड़ा मैला है, यहां कपड़ा उद्देश्य और मैला है विधेय है | विशेष्य विशेषण न हो सकें १४ - यदि एक क्रिया के दो कर्ता हों और वे एक दूसरे के तो पहिला कर्ता उद्देश्य और दूसरा कर्ता क्रियासहित विधेय माना जाता है, जैसेयह मनुष्य पशु है, यहां 'यह मनुष्य' उद्देश्य और 'पशु है' विधेय जानो || १५ - जो शब्द कर्ता से सम्बंध रखता हो उसे कर्ता के निकट और जो क्रिया से सम्बंध रखता हो उसे क्रिया के निकट रखना चाहिये, जैसे- मेरा टट्टू जंगल में अच्छीतरह फिरता है, इत्यादि ॥ १६ - विशेषण संज्ञा के पूर्व और क्रियाविशेषण क्रिया के पूर्व रहता है, जैसे- - अच्छा लड़का शीघ्र पढ़ता है ॥ १७- पूर्वकालिका क्रिया उसी क्रिया के निकट रखनी चाहिये जिससे वाक्य पूर्ण हो, जैसे- लड़का रोटी खाकर जीता है | १८ - वाक्य में प्रश्नवाचक सर्वनाम उसी जगह रखना चाहिये जहां मुख्यतापूर्वक प्रश्न हो, जैसे - यह कौन मनुष्य है जिसने मेरा भला किया || १९- यदि एक ही क्रिया के जुदे २ लिंग के अनेक कर्ता हों तो क्रिया बहुवचन हो जाती है, तथा उस का लिंग अन्तिम कर्ता के लिंग के अनुसार रहेगा, जैसे-बकरियां, घोड़े और बिल्ली जाती हैं | २०- यदि एक ही क्रिया के अनेक कर्ता लिंग और वचन में एक से न हों परन्तु उन के समुदाय से एकवचन समझा जाय तो क्रिया भी एकवचनान्त होगी, और यदि बहुवचन समझा जाय तो क्रिया भी बहुवचनान्त होगी, जैसे - मेरा धन माल और रुपये पैसे आज मिलेंगे । मेरे घोड़े बैल ऊंट और बिल्ली खो गई ॥ 1
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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