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प्रथम अध्याय ॥
२३ कर्ता और क्रिया का होना बहुत जरूरी है और यदि क्रिया सकर्मक हो तो उस के - कर्म को भी अवश्य रखना चाहिये ॥ २- वाक्य में पदों की योजना का क्रम यह है कि-वाक्य के आदि में का अन्त में क्रिया • और शेष कारकों की आवश्यकता हो तो उन को बीच में रखना चाहिये । ३- पदों की योजना में इस बात का विचार रहना चाहिये कि—सब पद ऐसे शुद्ध और • यथास्थान पर, रखना चाहिये कि उन से अर्थ का सम्बंध ठीक प्रतीत हो, क्योंकि पद
असम्बद्ध होने से वाक्य का अर्थ ठीक न होगा और वह वाक्य अशुद्ध समझा नायगा। ४- शुद्ध वाक्य का उदाहरण यह है कि राजा ने बाण से हरिण को मारा, इस कर्तृप्रधान
वाक्य में राजा कर्ता, वाण करण, हरिण कर्म और मारा, यह सामान्य भूत की क्रिया है, इस वाक्य में सब पद शुद्ध है और उन की योजना भी ठीक है, क्योंकि एक पद का दूसरे पद के साथ अन्वय है, इस लिये सम्पूर्ण वाक्य का 'राजा के बाण से हरिण
का मारा जाना' यह अर्थ हुआ ॥ ५- व्याकरण के अनुसार पदयोजना ठीक होने पर भी यदि पद असम्बद्ध हों तो वाक्य
अशुद्ध माना जाता है, जैसे-बनिया वसूले से कपड़े को सीता है, इस वाक्य में यद्यपि सब पद कारकसहित शुद्ध है तथा उनकी योजना भी यथास्थान है परन्तु पद असम्बद्ध हैं अर्थात् एक पद का अर्थ दूसरे पद के साथ अर्थ के द्वारा मेल नहीं रखता है, इस कारण वाक्य का कुछ भी अर्थ नहीं निकलता है, इसलिये ऐसे वाक्यों को भी
अशुद्ध कहते है ॥ ६- जैसे कर्तृप्रधान वाक्य में कर्ता का होना आवश्यक है वैसे ही कर्मप्रधान वाक्य में
कर्म का होना भी आवश्यक है, इस में कर्ता की विशेष आकांक्षा नहीं रहती है, इस
कर्मप्रधान वाक्य में भी शेष कारक कर्म और क्रिया के बीच में यथास्थल रक्खे जाते हैं। ७- कर्मप्रधान वाक्य में यदि कर्ता के रखने की इच्छा हो तो करण कारक के चिन्ह
'से' के साथ लाना चाहिये, जैसे लड़के से फल खाया गया, गुरु से शिप्य पढ़ाया
जाता है, इत्यादि ॥ ८- वाक्य में जिस विशेष्य का जो विशेषण हो उस विशेषण को उसी विशेष्य से पहिले ला
ना चाहिये, ऐसी रचना से वाक्य का अर्थ शीघ्र ही जान लिया जाता है, जैसे-निर्दयी सिंह ने अपनी पैनी दाढ़ों से इस दीन हरिण को चावडाला, इस वाक्य में सव विशे
पण यथास्थान पर है, इस लिये वाक्यार्थ शीघ्र ही जान लिया जाता है । ९- यदि विशेषण अपने विशेष्य के पूर्वः न रक्खे जाय तो दूरान्वय के कारण अर्थ समझने
में कठिनता पड़ती है, जैसे- बड़े बैठा हुआ एक लड़का छोटा घोड़े पर चला जाता है। इस वाक्य का अर्थ विना सोचे नहीं जाना जाता, परन्तु इसी वाक्य में यदि