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चतुर्थ अध्याय ।।
३०३ ७-जीर्णज्वर तथा ताने खून से तपाहुआ शरीर ठंढा पड़ जाता है।
८-हवा में उड़ते हुए ज़हरीले तथा चेपी (उड़कर लगनेवाले ) रोगोंके जन्तु तथा उन के परमाणु शरीर में असर नहीं कर सकते है।
९-नित्य कसरत और तेल का मर्दन करनेवाले पुरुष की ताकत और कान्ति बढ़ती है अर्थात् पुरुषार्थ का प्राप्त होता है।
१०-ऋतु तथा अपनी प्रकृति के अनुसार तेल में मसाले डालकर तैयार करके उस तेल की मालिश कराई जावे तो बहुत ही फायदा होता है, तेल के बनाने की मुख्य चार रीतियां हैं, उन में से प्रथम रीति यह है कि-पातालयंत्र से लौंग मिलीवा और जमालगोटे का रसनिकाल कर तेल में डाल कर वह तेल पकाया जावे, दूसरी रीति यह है कितेल में डालने की यथोचित दवाइयों को उफाल कर उन का रस निकालकर तेल में डाल के वह (तेल) पकाया जावे, तीसरी रीति यह है कि-घाणी में डालकर फूलों की पुट देकर चमेली और मोगरे आदि का तेल बनाया जावे तथा चौथी रीति यह है कि-सूखे मसालों को कूट कर जल में आई (गीला) कर तेल में डाल कर मिट्टी के वर्तन का मुख बंद कर दिन में धूप में रक्खे तथा रात को अन्दर रक्खे तथा एक महीने के बाद छान कर काम में लावे।
वैद्यक शास्त्रों में दवाइयों के साथ में सब रोगों को मिटाने के लिये न्यारे २ तैल और घी के बनाने की विधिया लिखी है, वे सब विधियां आवश्यकता के अनुसार उन्हीं ग्रन्थों में देख लेनी चाहिये, ग्रन्थ के विस्तार के भय से यहां उन का वर्णन नहीं करते है।
तेलमर्दन की प्रथा मलवारदेश तथा वंगदेश (पूर्व) में अभीतक जारी है परन्तु अन्य देशों में इस की प्रथा बहुत ही कम दीखती है यह बड़े शोक की बात है, इस लिये सुजन पुरुषों को इस विषय में अवश्य ध्यान देना चाहिये ।
दवा का जो तेल बनाया जाता है उस का असर केवल चार महीने तक रहता है पीछे वह हीनसत्त्व होजाताहै अर्थात् शास्त्र में कहा हुआ उस का वह गुण नही रहता है। ... सामान्यतया तिली का सादा तेल सब के लिये फायदेमन्द होता है तथा शीतकाल में सरसों का तेल फायदेमन्द है।
शरीर में मर्दन कराने के सिवाय तेल को शिर में डाल कर तालए में रमाना तथा कान में और नाक में भी डालना जरूरी है, यदि सव शरीर की मालिश प्रतिदिन न बन
१-परन्तु मिलावे आदि वस्तुओं का तेल निकालते समय पूरी होशियारी रखनी चाहिये ।
२-सुळसा श्राविका के चरित्र में लक्षपाक तैल का वर्णन आया है तथा कल्पसूत्र की टीका में राजा सिद्धार्थ की मालिश के विषय मे शतपाक सहस्रपाक और लक्षपाक तैलों का वर्णन आया है तथा उन का गुण भी वर्णन किया गया है।