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________________ विज्ञापन , विदित हो कि मैंने मेरे गुरु महाराज उपाध्याय श्री रामलालजी गाणः से वालपन से विद्याभ्यास किया है जिसमें विशेषतया आयुर्वेद पढ़ा है। रोग परीक्षा व इलाज गुरु महाराज के अनुभूत शीघ्र फलदायक करता हूं। ज्वर, सर्वतरह के अतिसार, संग्रहिणी, वमन, आम्लपित्त, सोथमुख आदि से रक्त गिरना, पांड, आमवात, कुष्ट, (गठिया) वायु, फिरंग, गर्मी, सुजाक, कास, श्वास, पसली का दरद, सन्निपात, शूल, अजीर्ण, हैजा, प्लेग, पागलपना, मृगी, मूर्चा इत्यादि रोगों का वनस्पति वर्ग की दवा व रस रसायण दोनों से रामबाण इलाज है। घर बुलाने से दिन का १) रात का २) तथा दवा के दाम । सामान्य रोगी के ॥) दीर्घ रोगी के १) रुपया हमेशा का ये नियम तीन वर्ष के लिये है। गरीब का इलाज नुस्खा लिख देकर मुफ्त करता हूं। द.पं० प्रेमचन्द्र यतिः, रांघड़ी चौक, बीकानेर, (मारवाड़), - -
SR No.010046
Book TitleJain Digvijay Pataka
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages89
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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