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________________ इति (सत्यासत्यनिर्णय ) जैनदिग्विजय पताका ग्रन्थ की भूमिका संपूर्णा । यदि कोई प्रमादवश इस अंथ में लेख दोष हुआ हो तो सुधार के पढ़ें और मुझे क्षमा करें। आप सर्व का कृपाभिलाषी-मैं उपाध्याय श्रीरामलाल गणिः परोपकारार्थ इस ग्रन्थ का संग्रह कर पक्षपात रहित भव्य जीवों के अर्थ इस को अर्पण करता हूं। श्रीरस्तु। . कल्याणमस्तु। इस ग्रन्थ का सर्व हक्क स्वायत्त रक्खा है सरकारी ऐन से रजिस्टर्ड कराया है कोई बिना आज्ञा न छापे ।
SR No.010046
Book TitleJain Digvijay Pataka
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages89
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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