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________________ दश-वैकालिक सूत्र | षण्ठ अध्ययने आछे अनेक विषय | वर्णित हइवे उहा जैनतत्त्वमय ॥ प्रश्नोत्तर गुरुशिष्ये साघुर आचार | दोष स्थान अष्टादश हयेछे प्रचार ॥ अहिंसा ख्यापन आर दोषादि वर्णन । परिग्रह व्याख्या त्याज्य रात्रिर भोजन ॥ . वर्णित हयेछे आर जोत्रविरोधना । चारिटि अभोज्य वस्तु हयेछे योजना | आहां ग्रहण रीति वर्जन विधान । पश्चात् आर पुरः कर्म्म दोपेर व्याख्यान | स्नानादि वर्जन आर निर्जरा ग्रहण | सिद्धिलाभकथा इथे हयेछे वर्णन ॥ ६ अध्ययन सप्तमेते भाषार विचार | चारि संख्या परिमित उहार प्रकार || उहा हते दुइ ग्राह्य दुइ त्यजनीय | सत्य विनयादि ग्राह्य त्याज्य करिवे । प्राणि भेदे भाषा भेद किरूपे वृक्षादिके कि प्रकार भाषाते कहिवे || स्त्री पुरुष कथनेर कि प्रकार रीति । सावध भाषार त्याग श्रद्धार प्रकृति ॥ खरिद विक्रये भाषा किरूपे कहिवे । असाधुर सह कथा केन ना बलिवे || युद्ध कार जय लाभ कखन घटिल | सुभिक्ष दुर्भिक्ष अद्य कोथा वा हइल | = दूपणीय ॥
SR No.010036
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnibhushan Bhattacharya
PublisherParshwanath Jain Library Jaipur
Publication Year
Total Pages207
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size5 MB
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