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________________ द्विवेदी युग की पृष्ठभूमि एवं परिस्थितियां [ १३ साहित्यकार, चित्रकार आदि बुद्धिजीवी इसी कारण भारतीय अतीत गौरव की अभिव्यक्ति प्रदान करने मे लीन रहे । सांस्कृतिक अतीतावलोकन के साथ भारतीय जनमानस एवं साहित्य के अन्तः सम्बन्धों की चर्चा करते हुए डॉ० केसरीनारायण शुक्ल ने लिखा है : " द्विवेदी युग में जनता का ध्यान हिन्दू-संस्कृति और उसके निदर्शक पूर्वजो की ओर गया । जनता का यह राष्ट्रीय और जातीय जागरण द्विवेदी युग के साहित्य में प्रतिबिम्बित है । जनता की भावनाएँ काव्य में झलक रही है । जनता की मनोभावना के समान कवि की मनोदृष्टि भी अनीत की ओर लगी हुई है । कवि अतीत के गीत गा रहे है और हिन्दू-संस्कृति के उच्चतम प्रतीक और व्यक्तित्वो की ओर संकेत कर रहे है । इस प्रकार, जन-मन के समान काव्य भी अतीत और हिन्दुत्व से ओतप्रोत है ।" " हिन्दुत्व के परिष्कृत रूप का प्रस्तुतीकरण तथा भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों की अभिव्यक्ति के क्रम मे द्विवेदीयुगीन साहित्य, मुख्य रूप से कविता, का स्वरूप आदर्शवादी एवं इतिवृत्तात्मक हो गया है । परन्तु, सांस्कृतिक धरातल पर हिन्दुत्व को शीर्षस्थान दिलाने के लिए इतिवृत्तात्मकता अनिवार्य थी और इसी कारण उपदेशात्मकता तथा आदर्शवादिता भी द्विवेदीयुगीन काव्य मे सर्वत्र उपलब्ध है। इस सन्दर्भ में डॉ० परशुराम शुक्ल बिरही ने पश्चिमी विद्वानों के योग को भी महत्त्वपूर्ण माना है : 'द्विवेदी युग के काव्य में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और अतीत गौरवगाथा की जो. प्रवृत्ति परिलक्षित होती है, उसके मूल में भी अँगरेजी का प्रभाव ही विद्यमान है । मैक्समूलर, कोलब्रुक, विलियम जोन्स आदि पाश्चात्त्य विद्वानों ने वैदिक साहित्य और प्राचीन भारतीय साहित्य के सम्बन्ध मे अपनी जो शोधें प्रस्तुत की, उनसे एतद्देशीय विद्वान् लाभान्वित हुए और अपनी प्राचीन संस्कृति एवं साहित्य के प्रति उनकी गौरव-भावना जागरित हुई । इसी प्रकार गेटे, शेली आदि यूरोपीय कवियों ने भारत के उपनिषदों और कालिदास आदि संस्कृत के महाकवियों की जो महत्त्वघोषणा की, उससे प्रभावित भारतीय साहित्यकारों ने भी अपने देश के गौरवशाली: अतीत को सम्मान की अंजलि दी । २ १. डॉ० केसरीनारायण शुक्ल : 'आधुनिक काव्यधारा का सांस्कृतिक स्रोत',. पृ० १३८- १३६ । २. डॉ० परशुराम शुक्ल विरही : 'आधुनिक हिन्दी काव्य में यथार्थवाद', पृ० १०६ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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