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________________ ३८ ऐसे वक्तपर यदि किसी पुन्यवानका अवतार न हुआ तो धर्मकी स्थिति, राज्यकी मर्यादा, सदाचार वगैरह समग्र व्यवस्थाएं छिन्नभिन्न हो जायेंगी । वर्त्तमानकालमें ऐसा प्रभावकपुरुष होगा या नहीं ?, अगर होगा तो कौन होगा ? "देववाणी.” इस विचारश्रेणिमें आरूढ आचार्यमहाराजके तपोबलसें आकृष्ट कोई शासनदेवी आकाश में प्रकट होकर बोली "भगवन्! आपकी इच्छा सफल होगी, शासनका उदय होगा, थोडे समय में आप जैनधर्मका एकछत्र राज्य देखेंगे । इसी शहर में आवुमंत्री एक विख्यात पुरुषरत हैं, उनकी लडकी कुमारदेवी रत्नप्रसू उत्तम स्त्रीरत है, उसका पाणिग्रहण आसराज मंत्री सें हो तो जगत्का पुनरुद्धार करनेवाले नररत्न पैदा होते हैं, आप जगत् प्रपंचोंसें पराङ्मुख एक महात्मा हैं तो भी मेरी प्रार्थनासे इतना काम करें कि, व्याख्यान प्रसङ्गपर आए हुए आसराज मंत्रीको मेरा यह कहना सुनाकर कुमारदेवीकी पहचान करादें" । - इतना कहकर तपोलब्धि और ज्ञानगुणसंपन्न गुरुमहाराजको नमस्कार कर शासनदेवी स्वस्थानपर चलीगई । गुरुमहाराजने आवश्यकादि कार्योंको समाधिपूर्वक समाप्त किया | व्याख्यानके वक्त नगरके सकल श्रद्धालु परिषद् में संमिलित हुए, महिलामंडलमें कुमारदेवी भी उपस्थित थी । गुरुमहाराजने बडी हुशियारी और सावधानीसें आसराजकों
SR No.010030
Book TitleAbu Jain Mandiro ke Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1922
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size5 MB
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