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________________ दोनों की पत्तियां पाठों को होड़कर मिलती है। शायद दोनों समकालीन होने से प्रतियों का पाठ मिश्रण हो गया होगा। पर भामे का पाठ सब भिन्न है। बाहर की शब्दावली के विविध अलंकारिक स्थल इस्टर्न है: १- नयर नर मारि नवरंग परियायो २. बिहु अप बारव सिव मुह कारण पर बाछिय पूरक परो। - नान गुण चारण गुरु पयार बड अबर वासरे पट्टो परवरे - बाध पर पाप सासमा देवि, देवि नालंधरा रजिवीर - मयल भार सिधान्त अवमाहए, सजण मा नयम आवाए ' पदावली ने वापत्यारिता और मधुरता देखिए • पारवि करि सब लावन्म गुरु बायार, जण अम पड पनि घरीर सिर माय बुले काल दिवानर, बादीब गय पद केसरीष वरीय संबम गिरीय भीमपल्ली पुरे, मंदिवर वि पि बरे बह सयल मार सिद्धान्त अवमाए सजय मम नयम आदीर' भत्त के भी कलात्मक उदाहरण इस प्रकार है: सविन विमान पाय माग्न इरिख दिमिर ( भ) र सासरी (कानोरतम काम मोपण पूल मन्दिा रन मरर वारि धन पर मारे मूल नादि सारी (0 मरवर मारिव परि परे बाबा, (५) परपीब मानमतीय बनु श्री का बल करने वाले दिन पारगमन काप बनाम कामद, किमा रनों परिपूर्ण नासाठी, बीनों लोकों का अनुरंजन करने वाला या मंगा लिया । विवावळी बसपि निमुवन मोडीउए मोगा शुभ मावि मंदिर योडीय भाग गब रमावर वियप ना भावतो पहिले मोडहर पविक जन मोहाय, बालइप मोडतिमिर तो
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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