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________________ कामधेनोत्तम काम कुमोपन , पुरष जैम चिन्तारयण श्रीय जिप असिपि नब नब मी तुल प्रभाव प्रपटीयकरण जन रन प्रब दुह मंजर देखण नाम चरित जुनो सकल जिणागम खो गदर अभिनवर पोयम उदयवतो पुरवि पसिया भूरि पुरीसर कुवर कमल नयण मंगल कुल मंग अळवाए जस निरमाए इस गालिका लिहि अवनवि पिइर सिरि माल्ब लोहिरि तिष सोहन सिहि क्या सारित जिणवाइप मुरि महिमा निसाए इस प्रकार जम भाषा में रचे जाने से दोनों गीतों की भाषा सरल है।काव्य ख्य की दृष्टि से दोनों गीवियां सरस और लोकप्रिय है। माषा का पित्व राजस्थानी मिठास है। दोनों गीत छोटे और गेय है। मधु विन्दु गीत पद सवीं सदी की एक सरस और मेय रचना जिन प्रम मूरि रचित मा मिन्यु मी परवना बसि । प्रतिलिपि भवन न्याय में परति . . ना में प्रकार मार स्वामी का बाद है। इसमें विस पुषों को मा बिन्दु पदमा का है। बाप देखिनकोड परियाबी कि पान स्तिों को पील पाणि समति बगिर बील पीस बलि अनधि अतिर्षि वारि मुबंगा विर लिगवि मा माहिर मानि विलिमिति समन मा किरि मिला मारिका सिरि मिला इस कष्ट कि विरा बा भषि मह पहा मधु बिन्दुवा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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