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________________ विस्वम कवि पुरवस सुंदरू सोहग-सारु क्वालि लवलि कोमल निम्मल जस आधार ससिमंडल गंगाजल उम्जवल गुणि संजत्तु लावन सिरि लीलावन गोवनवय संपतु यहां तक कि युवक नायक के माता पिता का वर्णन भी उतना ही प्रासादिक है जितना अन्य वर्णन । कवि की आलंकारिक शैली तथा अंतरयमक का सफल निवाह अत्यन्त स्वभाविक है: मगधदेश मुख भूषण, दुषण रहित निवासु नयर राजगृह राजमे गाजभे जगि जसवार सोहई नहि सुगुणायर सायर परीय गंभीरु रिसहदत्त विवहारीउ धारिय निजम निवीस तस धरणी गुण धारणी धारिणी नाम प्रसिद्ध अमिय वेलि जिम मंदिरि सुंदरी सील समिध फागु वर्णन की परंपरा के अनुसार कवि ने वसंत का वर्णन कर काव्य कौशल का परिचय दिया है। सैली प्रसादगुण सम्पन्न है। पाका तत्सम, भाव स्पृहणीय तथा पदावली मसण है कवि की आलंकारिक शैली उसके वर्णन लाधव को और भी उत्कृष्ट बना देती है। वासन्ती प्रकृति कर्पन देसिपः इणि अवजारि गमहाल, पल भार बदेश दक्षिण बाब विकासीय, बासीय बानि विहरण रमति स्तूलि कळीर, 'मिलीउ 'निज परिवारि बंड कुमक बहारिवरि, मिरिवरि किन मारि कामीय के परिणति, सहि कई बहु में गि रमई रसाल उसीय, करणीय नबनब रंग पंधीय वनमनवड, बमका देखी अनम रंग पर मम यरू, मन बन्लब चंशु कामिपि मन बसु कंवर चंपक बन बहकति काम विजय ध्वज जमलीय क्दलीय लहलहकति
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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