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________________ मार होने से माता पिताओं ने उनसे लगन का आग्रह किया। उन्होंने कह दिया कि 'विवाहोपरान्त में दीक्षा टूटा। रिषभदालत ने भी उन आठ कन्याओं के माता पिताओं से दीक्षा की बात कह दी। श्रेष्ठियों ने सारी सूचना कन्याओं से कही। विवाह के उपरान्त दीक्षा पथ से जंबू कुमार को पथम्युत कर राग रंग में हुबा देने की इच्छा से परिणीता आठों लड़कियां मिलन की प्रथम रात्रि में ही हार गई पर जंबू स्वामी को अपने अविचल निश्चय से नहीं डिगा सकीं। उसी अवसर पर रात्रि के फिले पहरों में प्रभव नामका एक चोर अपने ५०० चौर साथियों को लेकर सेठ का द्रव्य लूटने घुस आया पर जन स्वामी के उपदेश को सुन स्वमित हो गया और अपनी अवस्वापिनी 'विइया को इस स्तंभन विद्या के सामने तुच्छ माना। उस अवस्वापिनी से उसने सबको बेहोश कर दिया पर जंबू स्वामी पर अखंड ब्रह्मचर्य के प्रभाव से उसकी विद्या निष्फल हो गई उसके पैर इससे वही स्तंमित हो गए। इस अवसर पर जंबू कुमार ने उसे संसार के असार होने का उपदेश दिया। प्रभव भी उन्हीं के साथ दीक्षित हुआ। रात्रि में अपनी बाहों पत्नियों को भी जंबू कुमार ने विविथ इष्टान्तों द्वारा परितुष्ट कर दिया और इस प्रकार जंबू स्वामी ने प्रभव के साथ ५०० चोरों तथा माता पिता और आठौं कन्याओं सहित सुधर्मास्वामी से दीक्षा ग्रहण की। १६ वर्ष की वय में दीक्षा ग्रहण करके उन्नी ५ वर्ष में कैवल्य प्राप्त हुवा। ४४ वर्ष उन्होंने कैवल्य प्रवज्या में विवार और वीं वर्ष की अवस्था में मोक्ष को प्राजए और उनका नाम प्रमय में ग्रहण किया। संक्षेप में काव्य की कथा बस्तु यही है जिसको कवि ने विविध भावपूर्ण रक्तियों से संवारा है। कवि ने जंबू स्वामी के वैषवमिरि घर कीड़ा करने गावे खमय का पति और परंपरा के अनुसार वसंत श्री का सुन्दर वर्णन किया है। कवि ने उनके माता पिता का परिचय बड़ी प्रासादिक शैली दिया है। फागु काव्य के शिपमें यह बार देखने को मिलती है कि चाहे रचना का नायक हो या नामिका कवि उनका प्राविक वर्णन कसा है। जंबू कुमार का म वर्णन देखिए: बकुमार बड नंबन मैन- अछाड कायडि बहु भाउ, वासरमा जिम राह
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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