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________________ ५६४ जैन-रत्नसार .... .......... ... ..... vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv searthakalamithbiotolane.hb thamkantash kinaalaakh bhtah liptahlakhalini khka bhlatak hoth.lathitala.lathalalah kehlalahula th ke ladkhaniphakhi hathialish lah bharti the गुरु वचन सानन्द मन से, उन्हें गारण्टी है निखिल सुख निर्वाण पद की । गुरो ! खामी मेरे मन सदन में शान्ति भरदो, दयाब्धे ! दुःखों का दमन अब आचार्य ! करदो ॥४॥ चिदात्मन् जा जा के नगर वसती ग्राम जन में, दिखाया लोगों को परम पद का मार्ग तुमने । मुझे भी आशा है। 1 चरम गति की नाथ ! तुमसे, दयाब्धे ! दुःखों का दमन अब आचार्य ! 1 करदो ॥५॥ बिछाया माया ने सृजन करके जाल जग का, हगों के होते भी मनुज वन अंधे फंस रहे । तुम्हारी सेवायें मन नयन का मञ्जु सुरमा, दयाब्धे ! दुःखों का दमन अव आचार्य ! करदो ॥६॥ सुनाता मैं स्वामिन् ! तव गुण कथा जैन कुल में, तुम्हें ध्याता जाता प्रणत शिर है रत्न जिन ! में । तुम्हारा चेला है सफल करना सूर्यमल को, दयाब्धे ! दुःखों का दमन अब आचार्य ! करदो ॥७॥ प्रतीक्षा भीक्षा है मम, तव परीक्षा समयकी, तुम्हारा ही सारा प्रभुवर ! सहारा भुवन में । कहो, बोलो, होगी परमपद की प्राप्ति मुझको, दयाब्धे ! दुःखों का दमन अब आचार्य ! करदो ॥८॥ जिनरत्नसूरि स्तवन रत्न सूरी गुरू, शिष्य जिनचन्द के । अधिकारी गुरूजी, शिष्य जिनचन्द के ॥१॥ खरतर गच्छ में गणधर साहब, रत्न सूरि गुरु ध्यानी ॥ शिष्य. २ ॥ सम्वत् उन्नीसौ इकतालीसे, बैठे गद्दी शुभकारी ॥शिष्य०३|| पैंतालीस आगमों के ज्ञाता, सूत्र अरथ विस्तारी ॥ शिष्य. ४ ॥ पञ्चास्तिकाय षट् द्रव्य के बेत्ता, शुद्ध धरम हितकारी ॥ शिष्य. ५॥ टीका नियुक्ति भाष्य चूरणी, पञ्चाङ्गी अधिकारी ॥ शिष्य. ६ ॥ सम्वत् उन्नीसौ ब्यानवे में, बैशाख बदी अति भारी ॥ शिष्य० ७ ॥ अमावस के दिन स्वर्ग सिधारे, संघ में हुवा दुख भारी ॥ शिष्य. ८॥ सूरजमल्ल गुरू के गुण गावें, धन धन जाऊं बलिहारी ॥ शिष्य. ९॥ ॥ इति स्तवन विभाग ॥ ยูไน ไซไป ใดใดใครไดไไไไไไไไไไไไไไไไ ด้ไกใจไงใหลได้ไกล ไไไไไไไไไไไไไไไดไไดไไดไขไดได้ไว้ใจไดไไไไไไไไได้ใยใใใใwwwใดใดใดได้ไรคใด ไอได้ได้ใคร ในใจ จนไดไไไไไไไ ไนไขได้
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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