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________________ no testoste Lost textestostecto ya to test to to to to to tits: २५४ twestostentactecta • How Yeston tertentesta Tastertonbet to totalista tot जैन - रत्नसार वस्त्र शुद्धि मन्त्र ॐ ह्रीं आं कों नमः । इस मन्त्र को सात बार पढ़ कर वस्त्र शुद्ध करके पहने । तिलक मन्त्र ॐ आं ह्रीं क्रों अर्हते नमः । इस मन्त्र को सात बार पढ़ कर तिलक करे । मयणफल मरोडफली शुद्धि मन्त्र ॐ ह्रीं अवतर अवतर सोमे सोमे कुरु कुरु वल्गु वल्गु सुमन से सोमन से महु महुरे ॐ कवली कः क्षः स्वाहा । इस मन्त्र से मयणफल मरोड़ी फली मौली से बांध शुद्ध करके दाहिने हाथ में बांधना चाहिये । यह क्रिया करने के बाद अङ्ग-रक्षा स्तोत्र तीन बार पढ़े । अङ्गरक्षा स्तोत्र ॐ परमेष्ठी नमस्कारं सारं नवपदात्मकम् । पञ्जराभं स्मराम्यहम् ||१|| शिरस्कं शिरसिस्थितम् । आत्मरक्षा करं वज्र ॐ णमो अरिहंताणं ॐ णमो सव्व सिद्धाणं ॐ णमो आयरियाणं मुखेमुख पटम्बरम् ||२|| अङ्गरक्षातिशायिनी । ॐ णमो उवज्झायाणं आयुधं हस्तयोर्ड ढम् ||३|| ॥३॥ पादयोश्शुभे । शिलावजू मयीतले ॥४॥ वज्र मयोवहिः । ॐ णमो लोए सव्व साहूणं मुच्छके एसो पञ्च णमुक्कारो सव्व पावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं वोपरि वज्रमयं पिधानं महा प्रभावा रक्षेयं क्षुद्रोपद्रव परमेष्ठी पदोद्भूता कथिता पूर्व वप्रो खादिरंगार पढ़मं हवइ देह खातिका ॥५॥ मंगलम् ।. रक्षणे ॥६॥ नाशिनी । सूरिभिः ||७||
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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