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________________ VIR A t ... .A E rristictornicatistatementation-kalhistorical-at-restaclestialestrolestiatataayatatien विधि-विभाग २५३ ... .. .. हटा दे शान्तिर पूजा की विधि समाप्त होने पर ज्ञानभक्ति गुरुभक्ति३ सधर्मीभक्ति४ करे। शान्ति पूजा की सामग्री ___घड़ा बड़ा, घड़ा छोटा, पट्टे तीन पञ्चपरमेष्ठी दशदिग्पाल नवग्रह, दो कलश टूटीदार बड़े, तिपाई, पीण्डी (घड़ोंची), लाल कपड़ा, सफेद कपड़ा, चावल, बादाम, बतासे, पिस्ता, लौंग, मिश्री, सुपारी, छुहारे, चिरोंजी, पान, इत्र, तेल, फल पांच तरह के, फूल पांच तरह के, रोली, मोली, धूप, दीपक, घी, खीर, बडे, पापडी, लापसी, वरक, नारियल, केशर, मिठाई पांच तरह की, दुध, दही, गुलाब जल, कपूर, पञ्चरत्न की पोटली, सतनजा, पैसे ( रेजगी), नगद रुपये, मैनफल, मरोडफली, सिन्दुर, नौ रंग के नौ कपड़े। नवपद मण्डल पूजा विधि स्वात्रियों का कर्त्तव्य है कि नवपद मण्डल पूजा करने से पहिले पांच, सात, नौ, ग्यारह, इक्कीस इकत्तीस से एक सौ आठ तक जितने । भी स्नात्रिये मिल सकें उन सबको पहिले अंग शुद्ध करने के लिये निम्नलिखित मन्त्रित जल से स्नान कराना चाहिये यदि स्नान कर भी। चुके हों तो भी इन मन्त्रों द्वारा निम्न क्रिया अवश्य करनी चाहिये । जल मन्त्र ॐ ह्रीं अमृते अमृतोद्भवे अमृत वर्पणि अमृतं श्रावय श्रावय स्वाहा । इस मन्त्र को सात बार पढ़ कर जल शुद्धि करे । खान मन्त्र ___ॐ ह्रीं अमले विमले विमलोद्ववे सर्व तीर्थ जलोपमे पां पां यां वां अशुचि शुचि भवामि स्वाहा । इस मन्त्र को सात बार पढ़ कर ग्नान करे । .१ शान्ति पूजा, नवपद मण्डल पूना, बीमाधानक मण्डल पूजा, प्रदिमाटल रा नारप्रनिष्टा आदि मियाविधान का कार्य ग्रन्थों को कदापि ना कराना चाहिये । जान की पूजन को मेंटना चढ़ाये। गुरुओं की भेंट चढ़ावें। १ मारमी भाइयों को प्रभावन दे साधी वत्सल को
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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