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________________ atmakataakaastistianshikestantastethalanki-katrikalatktoto katok frielationslialeshadristoshathokathadolestatestreliatisthlestatistone AAAAAAAAAAmanammarAmar Lalkalanki thako kala kakulationsliviaslist-nilachihinfiniobilind Tinki-lantists danlitilandisnoi tatists-listialisa- M विधि-विभाग यश्चैवं कुरुते रक्षां परमेष्ठी पदैरसदा । तस्य नस्याद्भयं व्याधिराधिश्चापि कदाचनः ॥८॥ ये स्तोत्र तीन बार पढ़कर अङ्गरक्षा करे । पीछे तीन बार णमोकार मन्त्र से मन्त्र कर चोटी में गांठ देवे तथा तीन दफा ॐ ह्रीं श्रीं असि आउसाय नमः । मन्त्र पढ़कर सब स्नात्रियों के कानों में फेंक देवे । इतनी विधि तो हर कोई पूजा प्रतिष्ठा मण्डलादिक में स्नात्रियों को पहले अवश्य करनी, करानी चाहिये । पीछे मन्दिरजी में अधिष्ठायक देव देवी जो होय उन सबकी पूजा करावे, अष्टद्रव्य चढ़ावे । पीछे चमेली आदि के तैल में हींगलू अथवा सिन्दुर मिलाकर 'क्षेत्रपालजी की पूजा करे, चांदी का वरक अथवा पन्नी से अङ्ग रचना करे, इत्र, जल, चन्दन, फल, धूप, नैवेद्य, फल, जल, इत्यादि सर्व द्रव्य 'ॐ क्षेत्रपालाय नमः' ऐसा कह मन्त्र पढ़कर चढ़ावे । पीछे मण्डलजी के दाहिने तरफ 'दशदिक्पाल के पट्टे की स्थापना करे, एक एक दिक्पाल की पूजा पढ़के जल, चन्दनादि सर्व द्रव्य, नागर बेल के पान सहित चढ़ाता रहे। 'दशदिक्पाल' की पूजा करे बाद ऊपर एक टूल का वस्त्र ( कसम्बल) वस्त्र मौली से * बांधे। आगे सर्व द्रव्य सहित भेंट चढ़ावे, दीपक करे। पीछे बायें तरफ नवग्रह के पट्टे की स्थापना करके पूर्वोक्त रीति से पूजा करे। पीछे स्नात्रियों को 'अठारह स्तुतियों की देव वन्दन' करना चाहिये । यहां पर 'दशदिक्पाल तथा नवग्रह' के पूजा का मन्त्र और देव वन्दन की विधि विस्तार के भय से नहीं लिखी है। वह पहले ही शान्ति पूजा में लिख आये हैं। उसी प्रकार से सर्व विधि करें या करायें। पीछे मण्डलजी की पूजन करावे। मण्डल पूजन विधि प्रथम दोनों तरफ मौली की बत्ती बना कर घृत का दीपक करे और दोनों दीपक चार पहर तक अखण्ड रहें। पीछे सोने चांदी के कलश में शुद्ध जल भरा हुआ लेकर सात णमोक्कार गिने और 'ॐ ह्रीं पृष्ठ २२३ । ASTidioliatistaraikolaTRENGTHASYATHI lalalisakitatistiatinathtaretaketertrentiatahkattator
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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