SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Antantasketerateeliratkisaaraahatirectronicientirdisanelectronmendslinest-dailasstatererterstandan विधि-विभाग २४६ ARSAARA AARNecese aamarparrow-MARAram u te thatni.lifatuitikatinathotilarlationshiktatistilathkarlimlastickerakAREntetstskirtantarashatisthitionalitehsihatirinainalihatibleindiahelicioliticarianiellestinians शान्ति देवता स्तुति ॥६॥ श्री शान्ति जिन भक्तोय भव्याय सुख सम्पदम् । श्री शान्ति देवता देयादशान्तिमपनीयते ॥१॥ इसके बाद 'श्रीश्रुत देवता निमित्तं करेमि काउसग्गं अणत्थ० कह एक णमोकार का काउसग्ग करे पीछे निम्नलिखित स्तुति पढ़े। श्रुतदेवी स्तुति ॥७॥ सुवर्णशालिनी देयात, द्वादशाङ्गी जिनोद्भवाः । श्रुतदेवी सदामह्य-मशेष श्रुत सम्पदम् ॥१॥ इसके बाद 'श्री भुवन देवता निमित्तं करेमि काउसग्गं. अणत्थः' कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे बाद में निम्नलिखित स्तुति पढ़े। भुवनदेवी स्तुति ॥८॥ चतुर्वर्णाय संघाय, देवी भुवन वासिनी । निहत्य दुरतान्येषा, करोतु सुख मक्षयम् ॥१॥ पीछे क्षेत्रदेवता निमित्तं करेमि काउसग्गं.' अणत्थ. कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे और क्षेत्रदेवता की निम्नलिखित स्तुति पढ़े। क्षेत्रदेवता स्तुति ॥९॥ ___यासां क्षेत्रगताः सन्ति, साधवः श्रावकादयः । जिनाज्ञां साधयन्तस्ताः, रक्षन्तु क्षेत्रदेवता ॥१॥ उक्त स्तुति कहने के बाद श्री अम्बिकादेवी निमित्तं करेमि काउसग्गं' अणत्थ. कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे और निम्नलिखित अम्बिकादेवी की स्तुति कहे। ___ अम्बिका देवी स्तुति ॥१०॥ अम्बानिहन्तु डिम्बामे सिद्ध बुद्ध समन्विता। सिते सिंहें स्थितागौरी वितनोतु समीहितम् ॥१॥ निम्नोक्त स्तुति कहने के बाद 'श्री पद्मावती देवी निमित्तं करेमि काउसग्गं अणत्य. कह एक णमोक्कार का काउसग्ग में करे बाद में पद्मावतीदेवी की स्तुति कहे । ไขใดไl๖ คนจะได้ไ% ใช้ไดไคโรไl, โจงใด โรงโป้ออาใจใดนัดคงคาใดได้ใจ ให้ได้ใกคไอสัดสังกะไดได้โดนใจใกใจในปัจจไปัดไขใจปัดได้ใกไทใดใดใดจะได้ไอดไดโอดใจได้ไปรักใดใดใจให้ใจงใจนักพรต วัดใจงใจของใจ% ได้ให้ได้ โดยไMeeใจได้ 1 ในไอ-ใช้ได้ไงน่ะ Smahittoh.kottit 32
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy