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________________ V ERathkhtakathlettohtothkhtbhAtith-12thTAKATARATHIKARAarambharatrubhasa २४८ मन्त्रालयका प्रमाणपत्रमनप्रप्रयागमनमनमाननगर जैन-रत्नसार वीर स्तुति ॥१॥ यदंघ्रि नमना देव, देहिनः सन्ति सुस्थिताः। तस्मै नमोऽस्तु वीराय, सर्व विघ्न विघातिने ॥१॥ कहकर पारे पीछे लोगरस० सब्बलोए अरिहंत० वंदण वत्तियाए० अणत्थ० कह एक णमोकार का काउसग्ग करे और दूसरी स्तुति कहे। स्तुति ॥२॥ सुरपति नत चरण युगान् नाभेय जिनादि जिनपतीन्नौमि, यद्वचन पालन पराः जलांजलिं ददतु दुःखेभ्यः ॥२॥ कहने के बाद पारे पीछे पुक्खरवरदी. वंदणवत्ति. अणत्य० कह एक णमोकार का काउसग्ग करे पीछे तीसरी स्तुति कहे। स्तुति ॥३॥ वदन्ति वृन्दारगणाग्रतो जिनाः सदर्थतो यद्रचयन्ति सूत्रतः । गणाधिपास्तीर्थ समर्थनक्षणे, तदङ्गिनामस्तुमते न मुक्तये ॥३॥ कहने के बाद। पारे पश्चात सिद्धाणं बुद्धाणं. वेयावच्चगराणं० अणत्थ. कह एक णमोकार का काउसग्ग करे पीछे चौथी स्तुति कहे । स्तुति ॥en शक्रः सुरा सुरवरैस्सह देवताभिः सर्वज्ञ शासन सुखाय समुद्यताभिः । श्रीवर्धमान जिनदत्त मति प्रवृत्तान् , भव्याञ्जना भवतु नित्यममङ्गलेभ्यः ॥४॥ स्तुति कहकर पारे पीछे बैठे णमुत्थुणं. कहकर खड़े हो "श्रीशांतिनाथ देवाधिदेव आराधनाथ करेमि काउसग्गं, वंदणवत्ति० अणत्य. कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे । शान्ति जिन स्तुति ॥५॥ रोग शोकादिभिदोषैः रञ्जिताय जितारये । नमः श्री शान्तये तस्मै विहिता नत शान्तये ॥१॥ फिर 'श्रीशान्ति देवता निमित्तं करेमि काउसग्गं * अणत्थ. कह एक णमोकार का काउसग्ग करे बाद में निम्न लिखित स्तुति कहे। andolesalinstallanteditatialais-allectiotatistialititiati-tamanleakistindietkakANATASTEYAHARAVELEASEASTERNATiratKKARNEYamaskattratikaashar নম্বথুরুন্ধু ম্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্বন্দর
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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