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________________ afratector-tr २५० colo to tonto to Youto to Yauta Ya Ya Yot staita to Youto Youta testo tanto tostante roto test to जैन - रत्नसार *********** पद्मावती देवी स्तुति. ॥११॥ धराधिपति पत्नीर्या देवी पद्मावती सदा । क्षुद्रोपद्रवतः सामां पातु फुल्लत फणावली ॥१॥ पूर्वोक्त स्तुति कहने के बाद 'श्री चक्रेश्वरी देवी निमित्तं करेमि काउस्सगं' अणत्थ• कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे बाद में स्तुति कहे । श्री चक्रेश्वरीदेवी स्तुति ॥१२॥ चचच्चक्रधराचारु प्रवाल दल सन्निभा । चिरं चक्रेश्वरी देवी नन्दतानि भान्मां ॥१॥ इस स्तुति को कहने के बाद 'श्री अच्छुप्तादेवी निमित्तं करेमि काउसग्गं' अणत्य• कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करने के बाद स्तुति कहे । श्री अच्छतादेवी स्तुति ॥ १३॥ खड खेटक कोदण्ड बाणपाणिस्तड़ित द्युतिः । तुरङ्ग गमनाच्छुता कल्याणानिकरोतुमे ||१|| निम्नोक्त स्तुति कहने के बाद में 'श्री कुबेर देवता निमित्तं करेमि काउसग्गं' अणत्थ० कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे और स्तुति कुबेर देवता की कहे । श्री कुबेर देवता स्तुति ॥ १४॥ मथुरापुरी सुपार्श्वः श्री पार्श्व स्तूप रक्षका । श्री कुबेरो नगा रूढ़ा सुतकावतुवो भयात् ॥ १॥ यह स्तुति कहने के बाद 'श्री ब्रह्म देवता निमित्तं करेमि काउसग्गं" अणत्य० कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे बाद स्तुति कहे । श्री ब्रह्मदेवता स्तुति ॥१५॥ ब्रह्मशान्ति समां पायादपायाद्वीरसेवकः । श्रीमत्सत्य पुरेसत्या येनकीर्तिः कृतानिज ॥ १॥ इसके बाद 'श्री गोत्रदेवता निमित्तं करेमि काउसग्ग अणत्थ० कह एक णमोक्कार का काउसग्ग करे और गोत्र देवता की स्तुति कहे । ন श्री गोत्र देवता स्तुति ॥ १६॥ या गोत्रं पालयत्येव सकलापायतः सदा । श्री गोत्र देवता रक्षां शंकरो -
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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