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________________ UPEEChetrotsaakabballot-todatokatyarthieldh takkabalhkokalkalakhsibilitatikutte २४२ wwwwwwwwwwammananmanne जैन-रनसार भेटना मन्त्र ( शार्दूल बिक्रीड़ित ) दिक्पाला सकला अपि प्रतिदिशं स्वं स्वं बलं वाहनम् शस्त्रं हस्तगतं विधाय भगवत् स्नाने जगदुर्लभे आनन्दोल्वण मानसा बहुगुणं पूजोपचारो | चयं,सन्ध्याया प्रगुणं भवन्ति पुरुषो देवस्य लब्धासन ॥१॥ इस मंत्र के कहने पर दशदिग्पाल के आगे चढ़ा दे। SrabhatatakalakaternatitloY-TIT-JhalartA1-Y (वायव्य कुबेर (उत्तर) ईशान Ekanket वरुण (पश्चिम) (ब्रह्म ) ऊर्ध्वलोक अधोलोक इन्द्र( पूरव) -LEAN Palle S KRITYASARDalaleta | ( ladki ) ak दशदिग्पालों को पट्टे पर इस तरह विराजमान करना चाहिये। नवग्रह आवाहन मन्त्र ( वसन्त तिलका) ___ सर्वे ग्रहा दिनकर प्रमुखा व कर्मः, पूर्वोपनीति फल दान करा जनानाम् । पूजोपचार निकर स्व करेषु लात्वा, सत्वांगतः सकल तीर्थकराचनेऽत्र ॥१॥ इस मन्त्र से कुसुमाञ्जली नवग्रह के पट्टे पर चढ़ावे (छिड़के)। नवग्रह पूजन मन्त्र (सूर्य पूजन मन्त्र) ___ॐ नमो सूर्याय सहस्र किरणाय रक्त वर्णाय सायुधाय सवाहनाय सपरि| कराय अस्मिन् जम्बुद्वीपे दक्षिणाई भरतक्षेत्रे अमुक नगरे अमुक जिन चैत्ये अमुक पूजा महोत्सवे अमुकाराधिते अत्रागच्छ अत्रागच्छ सावधानी NationalitikanikaalakatatatistkixEkaku
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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