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________________ REArkkkek sikasikaran BrkRREENEtalatkukkakeforderat dexaks kratika- २२६ जैन-रत्नसार ariasa . Risila Yasanlatasalarmirekaatailatasthaobrastakshetatateethalaladalatasthat आल अनादी से रह्यो सा०, कुमति कथन वस होय हो भव मांहे भमतां दुःख सह्या सा० इक० ॥६॥ जन्म मरण करि नव नवा सा०, नट ज्युं वेश बनाव हो । चउगति में नाटक तुम कियो सा. इक० ||७|| नरक निगोद। में तुम रह्या सा०, क्षण नहीं पाम्यो सुख हो । किम भूलो दुःख देखी जिसा सा० इक० ॥८॥ देव मनुष्य अवतार में सा०, मोह बिडम्बना दुःख हो । चित्तधरने दुर्जन छोड़िये सा० इक० ॥९॥ बल अपणो फोरयां बिना सा०, दुर्जन न पड़े पाय हो । जस लिजे दुर्जन क्षय करी सा० इक०॥१०॥ * मुझकू कहये न संभरी सा०, तो पिण अवसर देख हो। तुम आगे बात सकु कही सा० इक० ॥११॥ उत्तम नर जिणने को सा. होय गुण अवगुण जाण हो । बलि जाणे मित्र कुमित्रने सा० इक० ॥१२॥ मुझ से। प्रेम धरी करी सा०, कीजे वचन प्रमाण हो। जिन मारग उत्तम आदरो साइक० ॥१३॥ चारित्र धर्मनी आगन्या सा०, धारो शिरपर आज हो । जिम पामो रंग वधामणा सा० इक० ॥१४॥ सुध सरधा जलकुं ग्रही सा०, र बोबे समकित बीज हो । नवपल्लव धर्मतरु ऊये सा० इक० ॥१५॥ उत्तम नर सुरपति पणो सा०, पुप्प सुगंधो जाण हो। फल इनका शिव सुख पामस्यो सा० इक ॥१६॥ उत्तम ज्ञान प्रकाश से सा०, सहु देखे निज रूप हो । परमातम पदकुं पिछाणिये सा० इक० ॥१७॥ तु मुझ बल्लभ है सदा सा०, तुम गुण अपरम्पार हो। परमातम पद तुंही अछे सा. इक० ॥१८॥ पिण निश्चे व्यवहार में सा०, निश्चे नयकु जाण हो । व्यवहारे शुद्ध क्रिया करी सा० इक० ॥१९॥ निज निज शक्ति अनुसरे सा०, पाले व्रत मन शुद्ध हो । नव पदनोध्यान हियेधरी सा० इक० ॥२०॥ सिद्धगिरि प्रवहण चढ़ी सा०, वेगे शिवपुर जाय हो। भवसागर पार पामो सुखे सा० इक० ॥२१॥ इण परि सुमता आयके सा०, समझावे भविचित्त हो । सुख पामें समझे भवि जीके सा० इक० ॥२२॥ (दोहा)-इण पर सुमता वयण सुण, आसन भव्वी जीव । हरषा धरी व्रत आदरे, धर्म अमृत * रस पीव ॥२३॥ सिद्धगिरि इक अवसरे, आया वीर जिणंद । इन्द्रादिक सहु आयने, वान्द्या धर आणंद ॥२४॥ सिद्ध गिरीना गुण सहू, सुणवा SS मन्त्रमन्त्री चन्द्रन्य न्त्रणमा genMeeder-ferejare a ktepathakKhataila l ituti A. MA h italilai.kiladailadMENTARYAN
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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