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________________ ust to 6% 4 -%%%%ได้ ใ% ได้นั้ นได้ อ อ น ไ js विधि-विभाग , f the tk-%e ki s t ได้ 4 ช.ม २२७ ........ ........ - u. annuwar.vommarawamawaaturumuviwwwmuminiuonmaramannamrat b saithaaran Kaithaloreshasreta tisleakistaircatoothalkotalby Yonlis BAnimadaniliatelianimli tri-katina tantabai.shemistamitatistskokanalemantastinationkancertretinospeakes thakaka-shakakakakakaaspitalistskoolantrokhastreliefiBobal-linkirefokieodharanlentialantahareenionlalk भवि चित्त धार । प्रभु पद पंकज, नमन कर, बैठा करी इकतार ॥२५॥ भगवन् दीनी देशना, सिद्धं गिरी सम आज । जगमें कोइ तीरथ नहीं, परतिख शिवपुर पाज ॥२६॥ काल अनादी से रह्यो, नाम ठाम परसिद्ध । साधु अनन्ता इण गिरे, अणसण लही शिव लिड ॥२७॥ नाम लियां सहु भय टले, दुःख दारिद्र होये दुर। दिन दिन अधिकी संपदा, पामे सुख भरपूर ॥२८॥ ( ढाल) ____ जंबू द्वीपने मांहे कह्यो रे लाल दक्षिण भरत प्रमाण रे, भविक नर । सहु देशां माहे सिरे रे लाल, सोरठ देश बखाण रे भ० ॥२९॥ इण गिरनी महिमा बड़ी रे लाल, कहे न सके कोई पार रे भ० । वीर जिणंदे भाखियो रे लाल ॥३०॥ विमलाचल प्रणमं सदा रे लाल, श्राद्ध गुणों सम नाम रे भ० । घर बैठां शुभ भाव थी रे लाल, ध्यान कियां सुख पाम रे भ० ॥३१॥ प्रथम अनादी काल से रे लाल, अनंत सीधा इहां आय रे भ० । अनंत साधु बलि सीधसी रे लाल, प्रणम ए गिरी राय रे - भ० ॥३२॥ फागुण सुदी दशमी दिने रे लाल, पूरब निन्नाणु बार रे। आदि जिणंद समोसरया रे लाल, चरण नमं सुखकार रे भवि० वीर० ॥३३॥ पुण्डरीक गणधर नम रे लाल, पंच कोड़ी मुनि साथ रे भ० । चैत्री पूनम दिन आयने रे लाल, झाली शिवपुर बाथ रे भ० * वी० ॥३४॥ नमि विनमि दो दो कोड़से रे लाल, इण गिरि कीनो बास रे भ० । फागुण सुदी दशमी दिने रे लाल, अविचल ज्यो प्रकाश रे भ० वी० ॥३५॥ नमि पुत्री चौसठ कही रे लाल, अणसण लही शिव पाय रे भ० । द्राविड़ संघ काती पून में रे लाल, दश कोड़ी सीधा इहां आय रे भ० वी० ॥३६॥ राम भरत पांडव कह्या रे लाल, बलि नारद नव आय रे भ० । थावच्चा सेलग मुनी रे लाल, जालि मयालि शिव पाय रे भ० वी० ॥३७॥ अजित शान्ति चौमासो रहा रे लाल, भविजीवां हित काज रे भ० । नेम बिना सहु आविया रे लाल, ए शिव पुरनी पाज रे भ० নুরুললুরুত্বৰুৱলম্বন্বয় ছিল tskostatisthkkotaborahilosotalk Yastratastich historiklankanda.toladakih treatmladaki
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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