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________________ १:४:३७-३८] श्रीवरकृता १२९ देशसंस्कृतकाव्यज्ञो राज्ञो निकटवास्यभूत् । पण्डितो नोत्थसोमाख्यो देशजैनचरित्रकृत् ॥ ३७ ॥ ३७. देशी ( काश्मीरी) एवं संस्कृत काव्य का ज्ञाता तथा भाषा में जैन' चरित प्रणेता पण्डित नोत्थ सोम राजा का निकटवासी था। देशभाषाकविर्योधभट्टः शुद्धं च नाटकम् ।। चक्रे जैनप्रकाशाख्यं राजवृत्तान्तदर्पणम् ॥ ३८ ॥ ३८. देशी ( काश्मीरी) भाषा का कवि योधभद्र ने जैनप्रकाश नामक शद्ध नाटक की रचना की, जो वृत्तान्त के दर्पण ( सदृश ) था। तवक्काते अकबरी मे उल्लेख है --उसके राज्य वर्णन से प्रकट होता है, नोत्थ सोम भी सुलतान का काल में नृत्य करनेवाले तथा बहुत से नट पैदा हो निकटवर्ती और उसका सभासद, दरबारी तथा दरगये थे और बहुत से ऐसे लोग थे, जो कि एक बारी कवि था। पद्य काव्य था। उसमें जैनुल स्वर को बारह राग से बजा सकते थे (पृष्ठ ४३९)। आबदीन के चरित तथा उसके कार्यो का वर्णन था पाद-टिप्पणी : ( म्युनिख : पाण्डु० : ७२ बी०)। कलकत्ता संस्करण की ३७०वीं पक्ति है। पीर हसन नाम सोम देता है-एक शख्स सोम ३७. (१) जैन चरित : नोत्य सोम ने के नाम काश्मीरी जबान में अशआर कहा करता था। ना काश्मीरी भाषा में जैनुल आबदीन का चरित लिखा इसके साथ ही अलूम हिन्दग मे भी लाशानी था । था। यह विक्रमांकदेव तथा दशकुमार चरित की इस शख्स में 'जैनचरित' एक किताब बादशाह के २० शैली पर लिखा गया होगा, जैसा कि उसके शीर्षक । हालात में कलमबन्द किये ( पृष्ठ १७९ )। से प्रकट होता है। पुस्तक अप्राप्य है। तवक्काते तवक्काते अकबरी में नाम सहुम दिया गया हैअकबरी में उल्लेख है-उसने जैन हरब नामक ग्रंथ उसके राज्यकाल में सुतूम नामक एक बुद्धिमान था की रचना की जिसमें सुल्तान के राज्यकाल की जो काश्मीरी भाषा में कविता करता था और हिन्दवी समस्त घटनाएँ विस्तार के साथ लिखी है ( पृष्ठ के ज्ञान में अद्वितीय था (६५८)। दूसरी पाण्डुलिपि में ४३९ )। तवक्काते अकबरी के विवरण से प्रकट 'सहुम' का पाठभेद 'संयूम' मिलता है। फरिश्ता के होता है कि रचनाकार के समय ग्रंथ का अस्तित्व लीथो संस्करण में 'सोम' नाम दिया दिया गया है। था । लेखक ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद की मृत्यु ७ 'नोत्थ' नाम परशियन पाण्डुलिपियों को छोड़कर नवम्बर सन् १५९४ ई० में हुई थी। वह बाबर, सर्वत्र केवल सोम दिया गया है। हिमायूँ तथा अकबरकालीन घटनाओं का प्रत्यक्ष- पाद-टिप्पणी : दर्शी था। जैनुल आबदीन की मृत्यु के लगभग एक ___कलकत्ता संस्करण की ३७१वां पक्ति है । शत वर्ष पश्चात् रचना किया था। ३८. (१) योधभट्ट : श्री मोहबिल हसन (२) नोत्थ सोम : काश्मीरी भाषा तथा ने गलती से लिख दिया है कि योधभट्ट प्रसिद्ध संगीतज्ञ संस्कृत दोनों का काव्यमर्मज्ञ एवं विद्वान था। श्रीवर था। उसने संगीत शास्त्र पर पुस्तक लिखकर ने यदि राजतरंगिणी लिखा था, तो नोत्थ सोम ने सुलतान को समर्पित किया था ( पृष्ठ ९३ ) । उसने जैनुल आबदीन का चरित लिखा था। श्रीवर के काश्मीरी भाषा में एक नाटक जैनप्रकाश लिखा था।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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