SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४५) अर्थ-राहु पर अरिष्ट कहिए केतु इन दोऊनिके विमान . किछू घाटि एक योजन प्रमाण है । बहुरि ते विमान कमकरि चंद्रमा अर सूर्यका विमान नीचे गमन करे हैं । बहुरि छह मास भए । पर्वका अन्तविष चंद्रमा सूर्यको माछादे हैं । राहुतौ चंद्रमाको माछादे है, केतु सूर्यको आछादे हैं याका ही नाम ग्रहण कहिए हैं ।। ३३९ ॥ राहुअरिढविमाणधयादुवरिपमाणअंगुलचक्कं ।। .. गंतण ससिविमाणा सूरविमाणा कमे होति ॥ ३४ ॥ रांव्हारिष्टविमानध्वजादुपरिप्रमाणांगुलचतुष्कम् ॥ - गत्वा शशिविमानाः सूर्यविमानाः क्रमेण भवन्ति ॥ ३४॥ मर्थ:- राहु र केतु के विमाननिका जो ध्वजादण्ड ताके ऊपरि च्यारि प्रमाणांगुल नाइ क्रम फरि चंद्रमाके विज्ञान भर सूर्यके विमान हैं। राहु विमानकै ऊपरि चंद्रमा विमान है केतु विमानकै ऊपरि सूर्य विमान है ।। ३४०॥ .. आग चंद्रादिकनिकै किरणनिका प्रमाण कहे हैं-- : ' चंदिणवारसहस्सा पादा सीयल खरा य सुक्के दु । ... अडाइज्जसहस्सा तिव्वा सेसा हु मन्दकरा ।। ३४१ ॥ . ' चंद्रनयोः द्वादशसहस्राः पादाः शीतलाः खराश्च शुक्र तु॥ अधेतृतीयसहस्राः तीनाः शेषा हि मन्दकराः ।। ३४१ ।। ___ अर्थ- चंद्रमा और सूर्य इनके बारह बारह हजार किरण हैं। तहां चंद्रमाके किरण शीतल है सूर्यके किरण खर कहिये. तीक्ष्ण हैं। बहुरि शुक्र है ताके अढाई हजार किरण हैं ते तीन कहिए प्रकाशकरि उज्वल हैं। बहुरि अवशेष ज्योतिपी मंदकरा कहिए मंद प्रकाश संयुक्त
SR No.010018
Book TitleJain Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar P Randive
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year1931
Total Pages175
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy