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________________ 00 जैन शिलालेख - सग्रह १०३ उम्मत्तूर (मैसूर) १०वीं सदी, कवड [ १०३ [ इस लेखमें विमलचन्द्रके शिष्य सोतियूरके शासक मारम्मयके पुत्र सिन्दय्यके समाधिमरणका उल्लेख है । लिपि १०वी सदीकी है । ] [ ए० २ि० मै० १९१७ पृ० ३९ ] १०४ बूवनहजि (मैसूर) १०वीं सदी, कन्नड [ यह लेख एक जिनमूर्तिके पादपीठपर है । इस मूर्तिकी स्थापना वालचन्द्र सिद्धान्तभटारके शिप्य क (म) लभद्रगुरु द्वारा की गयी थी । लिपि १० वी सदीकी है । ] [ ए०रि० मं० १९१३ पृ० ३१ ] १०५ अंकनाथपुर (मैसूर) १०वी राढी, कन्नड [ यह लेख अकनाथेश्वर मन्दिरके छतमें लगा है। प्रभाचन्द्र सिद्धान्तभट्टारकी शिष्या देवियन्बेके समाधिमरणका यह स्मारक है । लिपि १०वी [ ए० रि० मै० १९१३ पृ० ३१ ] सदीकी है । ] १०६-१०७ अंकनाथपुर (मैसूर) १०वी सढी, काढ [ यहाँके सुब्रह्मण्यमन्दिरके छतमें दो निसिधि लेख लगे है । एकम दडिगसेट्टि तथा देवरदासस्यको माता चामकब्वेका उल्लेख है । दूसरेमें
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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