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________________ मुनुगाड गर्दिक लेख ७ मुनुगोट्ट (गृहर, आन्त्र ) तेलुगु वी मही [यह लेख पूर्वी चालुक्य राजा सबलोगयर विखनके राज्यवर्ग ३८ का है। इन उम्प म्हाम डलवर गोक्य्यन मुनुगांडक जिनालय लिए छ भूमि दान दी श्री । यहीं एक अन्य लग्न गाक सेवक वागह-वारा इस निनाल डीपोवारसा उल्लेख है निमन्न निर्माग अन्गांति द्वारा मुनिनु ताम्म क्गि गया थ। Eरि० ग० ए० १०२९-३० २०१७-१८१०] तिलगोकर्णम् (मत्रान) __ तमिल. ८वीं मी [यह लेख गगर नानक पहाडीपर एक जिनमृति पान है। पर राजा गोपिकोन्डान् सुन्दरपाडियदेव वें वर्गको एप रानहाना इजर्ने उल्लेत्र है। तदनुसार विगाड्दुक निदानिगाँस कहा गगा कि क्यानमल्लिने पनिलि चोलसन्माल्लि आल्बाचे पृजादि* लिए स्थानीय पल्लि (जिनमन्दिर के कन्स्य गंधाग अपित दन्ननांगे मुन्त बिना गया ।] [इ० पु० ० ०३० पृ० ८.] ५१-५३ ब्रिटिश न्यूजियम ( लन्दन ) बी-९वीं पढी. सन्कृत-नागर्ग । अनन्तवीर्य • मुतांचना ३ वृति [ये नाम तीन मूतिर पनीठातर खुटे है। ये मुनिगं यन त्या
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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