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________________ जैनशिलालेख-सग्रह [१७ कुडलूर ( मैसूर) कन्नड, ८वीं सदी श्रीयम्म तोरेय तडिय मोण्टढोल तगम भागम देवगें कोहर् अय्यप्प राठणठ पक्कदतोण्टम कोण्डु वोरंय तडिय तम्म भागद तोण्टमं मूडणबसविगे कोहर रणपाकरसर आले काण्ड तोहर ॥ [इस लेखमे रणपाकरसके राज्यकालमै श्रीयम्म तथा अय्यप्प-द्वारा किसी नदीतीरपर स्थित पूर्वीयवसदिके लिए कुछ उद्यान आदिके दानका उल्लेख है। लिपि ८वी सदीको प्रतीत होती है। ] [ए. रि० मै० १९०९ पृ० १४ ] नरसिंहराजपुर ( मैसूर) सस्कृत-कन्नड, ८वी-९वीं सदी [यह ताम्रपत्र गग राजा थीपुरुप-द्वारा दिया गया था। इस राजाके 'अनुकूलवर्ती' पसिण्डि गग कुलके नार्मा तया कदम्बकुलके तुलअडिने तगरे प्रदेशके तोल्लग्राममें स्थित चैत्यालयके लिए मालवल्लि ग्राम दान दिया था। इसी प्रकार कोशिक वशके मणलि मनेोडयोन्ने कुछ भूमि दान थी। इसी ताम्रपत्रके अन्तिम भागमे गग राजा शिवमारके राज्यमे मिन्दनाडु ८००० के शासक विट्टरम-बारा तोल्लरके चैत्यके लिए करिमानी ग्रामके दानका भी उल्लेख है। तदनन्तर इमी चैत्यके लिए राजा शिवमारके मामा विजयशक्ति अरस-द्वारा ६ खड्गभूमिके दानका उल्लेख है।] [ए० रि० मै० १९२० पृ० २७]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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