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________________ -६१९] कोगलि मादिक लेख ३७९ ६१६-६१७ कोगलि (वेल्लारी, मैसूर) क्वड [इस मूर्तिलेखमें अनन्तवीर्यदेवके शिष्य मोडेयमसेट्टिद्वारा इस मूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है। यहाँके एक स्तम्भपर जिनमूर्तियोके अभिपेकके लिए कई व्यक्तियो-द्वारा दिये गये दानोका उल्लेख है। प्रथम लेखकी तिथि चैत्र शु० १४ रविवार, परिधावि सवत्सर ऐसी दी है।] [रि० सा० ए० १९१४-१५ क्र० ५२०-२१ पृ० ५३ ] ६१८ मुलगुन्द (धारवाड, मैसूर) कवड [ इस लेख में देसिगण-हनसोगे अन्वयक ललितकौति भट्टारकके शिष्य सहस्रकीतिकी मृत्युका उल्लेख है । मुस्लिमो द्वारा पार्श्वनाथवसदिपर आक्रमणके समय उनकी मृत्यु हुई थी।] [रि० सा० ए० १९२६-२७ क्र० ई ९२ पृ०८] ६१४ कलकेरि (धारवाड, मैसूर ) कवड [ इस लेखमें मूलसंघ-काणूरगण-तित्रिणी गच्छके भानुकीति सिद्धान्तदेवके शिष्य हलिगावुण्ड-द्वारा कलिकेरके अकलंकचन्द्रभट्टारकके लिए एक वसदिके निर्माण तथा पार्श्वनाथमूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२७-२८ क्र० ई ५१ पृ० २४ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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