SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 353
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७८ जैनशिलालेख संग्रह ६१३ कुमठ (उत्तर कनडा, मैसूर ) कन्नड [ ६१३ [ स्थानीय जैन वसदिमें पार्श्वनाथमूतिके पादपीठपर यह लेख है । मूलसघ, सुरस्तगण, चित्रकूट गच्छके मुकुन्ददेव द्वारा इस मूर्तिकी स्थापना की गयी थी। ] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २३७ १० २७] ६१४ कुमठ (उत्तर कनडा, मैसूर ) काड [ इस लेखमें पुष्य शु० ( ? ) क्रोधन सवत्सरके दिन क्राणूरगणके गजिय मलवारिदेवकी शिष्या कचलदेवीके समाधिमरणका उल्लेख है । इसके पतिका नाम त्रिभुवनवीर था तथा कदम्ब राजाओकी उपाधियां उसे दो गयी है । ] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २४२ ० २८ ] ६१५ रायद्रुग ( बेल्लारी, मैसूर ) कन्जट [ यहांके निसिधि लेखो में निम्न व्यक्तियोके नाम है - मूलसधके चन्द्रभूति, आपनीय सघके चन्द्रेन्द्र, वादय्य तथा तम्मण्ण । एक लेसपर माघ शु० १ सोमवार, प्रमाथि सवत्सर यह तिथि दी है । ] ['रि० सा० ए० १९१३-१४ क्र० १०९ १० १२]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy