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________________ -६१२ ] तोरनगल्लु भाढिके लेख ६०६ तोरनगल्लु (बेल्लारी, मैसूर ) क्जट [ यह लेख अकलकदेवके शिष्य वयिचिसेट्ठिके समाविमरणका स्मारक है । ] [रि० स० ए० १९२२-२३ क्र० ७२९ पृ० ५१ ] ६१० लोकिकेरे ( बेल्लारी, मैसूर ) ३७७ कमट [ यह लेख श्री रत्नभूपण भट्टारकके प्रिय शिष्य लोकेयकेरे निवासी मरगोण्डके समाधिमरणका स्मारक है । ] [रि० स० ए० १९२४-२५ क्र० २९९ पृ० ४९ ] ६११-६१२ गरग ( धारवाड, मैमूर ) कन्नड [ यह लेख यापनीय सघ - कुमुदिगणके शान्तिवीरदेवके समाधिमरणका स्मारक है । तिथि श्रावण व० ४, गुरुवार, विकृति सवत्सर ऐसी दी है । यहींके एक अन्य लेखमें भी यापनीय मंघ- कुमुदिगणका उल्लेख है । अन्य विवरण लुप्त हुआ है । ] [रि० स० ए० १९२५-२६ क्र० ४४१-४४२ पृ० ७६ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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