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________________ ३७६ [१० जैनशिलालेख संग्रह ६०६ देवर ( बिनापूर, मैसूर) [इस लेखमें मूलसघ-देसिगण-इंगलेश्वर पलिके नेमिदेव आचार्यके शिष्य सिंगिसेट्टि, देविसेट्टि, पदुमन्वे तथा सिंगेयके समाधिमरणका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९३६-३७ क्र० ई २२ पृ० १८३] ६०७ शिर (जमखंडी, मैसूर) कमद [ इस लेखमें यापनीय सध-वृक्षमूलगणके कुसुमजिनालयमै कालिसेट्टिद्वारा पार्श्वनाथमूर्तिकी स्थापनाका वर्णन है।] [रि० सा० ए० १९३८-३९ ० ६ ९८ पृ. २१९] ६०५ इडैयालम् (द० अर्कोट, गदास ) तमिल [ यहां जैन मन्दिरके समीप पापाणोपर चरणपादुकाएं उत्कीर्ण है तथा निम्न नाम खुदे है - (१) मल्लिपेणमुनीश्वर (२) विमलजिनदेव (३) अप्पाण्डार नायिनार् (४) इडयालम्के जिनदेवर ] [रि० सा० ए० १९३८-३९ क्र. ३११-१४ पृ० ४२]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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