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________________ -६०.] कागिनोल्लि आदिक लेख ३७५ सेट्टिको समाधिपर है। तिथि आगिर नंवत्सर, चैत्र १, मोमवार यह है । तीमरी ममावि गान्तिदेव मुनिकी है। तिथि प्रमादि संवत्लर, • “माम व ६, शुक्रवार यह है । चौयी ममाधि माघनन्दि मुनिपकी है। तिथि धावग शु० ११, शुक्रबार, युव मंवत्पर है।] [रि० सा० ए० १९३०-३१३० ई १५.१८ पृ० ८५ ] ६०३ कागिनोल्लि (धारवाह, मैनूर) [यह लेख एक स्तम्नपर है। इसमें दानविनोद वैरिनारायण लकममण मादिन्यवर्माकी स्तुति की है तथा उसके द्वारा काणूरगण, मेपपापागगच्छकी वसदिमें एक स्तम्भको स्थापनाका उल्लेख है।] [रि० ना० ए० १९३३-३४ क्र० ई० २८ पृ० १२१] ६०४ माकनूर (घारवाह, ममूर) कन्नड [इन लेखमें खर मवलर, कार्तिक शु० (१), शुक्रवारके दिन मूल मंघन्मूरस्यगणके नन्दिभट्टारफके गिप्य बोपगोटके समाधिमरणा उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९३४-३५ ० ई ५० पृ० १५१] ६०५ लक्कुण्डि (वारवाड, मैनूर ) [यह लेख एक भन्न जिनमुतिके पादपीठपर है। उसकी म्यापना विद्य नरेन्द्रशेनके निप्य वैश्य मिट्टिकी न्या राउन्चेने की यो।] [रि० सा० १० ११:४-३५७०६८५० १५४ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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