SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 342
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -७६] तेणिनः भाटिके लेख ३६७ ५७४ तेणिमलै ( नदार) तमिर [यह लेख एक पापातर उi जिनमूतिके नीचे है। यह मूर्ति (स्मेिणि) विल्न उदग नेस्वोट्टि-द्वारा उत्तीर्ण यो ऐना लेखमें कहा है। [इ० पु० ० १० पृ० १] ५७५ पूण्डि (जि० उत्तर कटि, नद्रार) तमिल पोस्निाय जैन मन्दिरकं पश्चिनी दीवालपर [इस लेखमें गम्वुवरामका उल्लेख है। वीरवारजिनालय नामक मन्दिरको स्थापनाका तया उसे एक गांव दान देनेका उल्लेख इस लेनमें है। [इ० म० उत्तर अर्काट २१०] ५७६ मूडविदुरे (मैसूर) कवड [ इस तानपत्रके तीन ग है । पहला भाग वृपम २२, गुरुवार, तारण नंवत्सरके दिनका है। इसमें चन्द्रकीतिदेव-द्वारा २४ तोर्यकरोको पूजाके लिए २०० होन्नु नर्पण किये जानेका उल्लेख है। यह रकम विष्णु क्लुम्बरको कर्ज दी गयी थी। उसने अपनी कुछ जमीन गिरवी रखकर इल रुमके याजके रूपमें १९ मन चावल देना स्वीगर किया था। दूसरा भाग कर्क ९, बुधवार, स्वर्भानु संवत्सरके दिनका है। इसमें श्रीधर पडि
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy