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________________ ३६६ जैनशिलालेख-संग्रह [५७० ५७० पेनुकोण्ड (जि. अनन्तपुर, आन्ध्र) कन्नड पार्श्वनाथमन्दिरके समीप एक कॅपके पास शिलापर [यह जिनभूषणभट्टारकदेवके शिष्य नागय्यका समाधि लेख है।] [इ० म० अनन्तपुर १६७ ] ५७१ कायाम्पट्टि (मद्रास) तमिल [ यह लेख शमणर् तिडल् नामक भग्न जिनमन्दिरके पास है। जयवीर पेरिलमैयान्-द्वारा तिश्वेण्णापिल् स्थित ऐन्नूरुवपेरुम्पल्लि (जिनमन्दिर) के आगे फर्श बनवानेका इसमे उल्लेख है।] [इ० पु० ऋ० १०८३ पृ० १५१] ५७२-५७३ मलैयकोविल (मद्रास) तमिल [इस लेखमे जैन आचार्य गुणसेनका नाम दिया है। साथमें परवादिनिदा यह उपाधि है । स्थानीय गुहामन्दिरके पास पाषाणपर यह लेख उत्कीर्ण है। ऐसा ही लेख तिरुमय्यमके सत्यगिरीश्वरमन्दिरके एक पापाणपर भी है। [इ० पु० ० ४.५ पृ०१]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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