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________________ -१३३] गैरसोप्पका लेस १३ धात्रीव वणी मायलरमी मनिताहानयुता सुशीला श्रीमन्नम्र निलिम - मौलिबिनमन्माणिक्य स्मर्पधुनिपाठपन - नवर श्रीपाना१४ न तु काम मगरमान्मजी गुग्गुण-डिवणाग्योमवत जैनयोगिनिकरर माहिल्यग्नारर श्रीमद्धानृनिनम्बिनीव निनग नृपालना भू. १५ मा भूरिगुणीजमास्करलमतमन्यत्रमामान्विता काम मगनृपा गुम्दया देवी श्रीमावलाया सुधामूनिथुनि प्रन्यह १ क । १६ आ मारगरपियरम भूमीविनम्रपाट क्शवभूप कामारिममित मम्नस्मोमद्युतिकीर्ति की सुरलोकट मुरतरविन गुरफ१७ लमं मदु तृप्तियिरल सुरर बरेयोल भूमुरराम बरक्शवभूर कारभूजस्टहयि माति कीया श्रीमापतिरप१८ रायुधितारगा जिनपनिश्रीपाइपमानता भूमी माविजिनेन्द्रचन्द्र थिलमरचारियनु रागोठया मंमारमादिया। १९ ध्यध्यन्याममन्त्रित शककृत भागावरीवन्मरे माघ मानित पंचर्मातिथियुने श्रीमाम्यवार मिर्ने पक्षे मादिराजवनिता यामिधाने पुरं काम कारयति स्म २. जत्ययरमी पावप्रतिष्टा मुद्रा। अनन्तरं । नगिरत राज हान्नरमनन्वयवाधिगे चन्द्र मले ना 'मोगयिप हेवभूपनलिय कलिकालन ०१ कर्णनम्बरी नगदलु मगभूवरन बान्धवे तगलेदविनन्दन नगेमोगहा कलभूज शिवरायनु कातिवनम । क। अन्ता नगिरट राज० र सन्तानाधियोलु लक्ष्मीमाणिकटवीकाननू एनिपारायंगे क्न्तुबिनन्नुदयिपि मगनृपाल मगबिदूर क्षेमपुरती जनेन्द्र पाट
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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