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________________ ३०४ जैनशिलालेख-सग्रह [५३३२३ पद्मक शगणजीयनालजनु अम्बमहीशन पुन संगम"तन्न मनमोलवन्तीधर्मव माडि पूर्वदोल पिगिद धर्मवेल्ल२४ वनु पालिसिद रविचन्द्रल्लिनं । अन्ताधर्मप्रतिपालकनेनिप श्रीसगभूपाल सुखदि राज्य गेयुत्तिरल यिलेयोलु कुन्तलनाडु कर रजि२५ से पश्चिमनाडु देशदोल् कलचे पापी कूप नदी मामरनि पनसीले बालेयिं बालेयि बलसिकोण्ड कोकमिथुनमोदलागिर लल्लियारवेगल नडवोप्पु २६ वी पुरवनालुवन् अजनुपालनेम्बव । यिरून्दूरधिपति तो करमोप्पुव अडियरबलियिं करमेसेवनु तम्मरस " यलियं कीर्ति२७ वेत्तना तम्मरस । आ तम्मरसनप्रजेय तनूज धरेयोल इरंदूर भूसुरनुत कल्लरसननुजे तंगदेविगे वरनेनिप हैवेयरसन वरपुत्र प२८ मणरस जैनपदमक्त। आ पनण्णरसनू आवनप्रजे जक्कल देविय"तन्दे हैवण्णरसरु पार्वतीयश्वर"माडिद नित्यपूजे. २९ माहारदानमोदलाद (बु) मेल्लव पुरो"दिगे सलिसि मुन्निन धर्मवेल्लवं नेरेमाडि वलिक तन्नोलु सन्नुतबुद्धि पुढे जिनेन्द्र नमिणेकनु नित्यपू३० जन मुन्नेसेवन्नदानमोदकादव पिरिदागि मारि"तृप्तियिन्दो लिदु पारसं मिगे कोट्ट वृत्तिय । श्रीपाइवतीयश्वरद श्रीकार्य३५ क्केयू भंगमोगचैत्यालयद जीर्णोद्वारके धारापूर्वकवागि कोहन्ता वृत्तिय विवर हैवण्णरसरु ताबु मलवागि माकुतिर्द कोणुवणिय३२ लि कंगन कुलिय हन्नेरड मढे सुनिगे सीमे मडलु भमिन सेहितं हित्तल गदे तकलु हरिद कोडिगाडि पटुवलु तम्मरसर होसगहेयलु यिक्किद कल्लुगढि ३३ वढगलु होलेयमागे गडियिन्ती चतुस्सीमयिदोलगुल्क कलवेष समस्तवृत्ति पारसरु वाबु मलवागि भालुत्सद होन्नमन करेय
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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