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________________ -३९७ ] गेरसोप्पेका लेख येसेच राजहृदयंगलु भिन्नगला बद्भुत । श्रीमद्देव गुरुगुणाद्भुतमहानागेन्द्रपंचा १६ १७ स्य सन्दिई हामद वैहालि महादाकिनीनामोपद्रवं पुलव श्री पाश्वतीर्थश्वरा १८ वासमं श्रीमदनन्तपालगीगे नित्यं दीर्घायुमं श्रीयुम अन्ता नगिरिपुरवराधीश्वरं मामा १९ वनियककार मात्रगेमलेव रायरगण्ड शिवसिंहासनचक्रवति परमालुवदडविमाढ कलिगल सुनन २० सम्यक्कचूडामणि चमन्तराज्यचातुर्वण्यक्कं हलुव रायरगण्ड हैवेभूपालं सुखमस्थाविनो २१ दर्दि राज्यं गेय्युत्तिरलु श्रा गेरमोप्पंय महाजनगल गुण - गलेन्तन्दोई ॥ बृ ॥ अबरोलू नानाजा २२ निपरडरग्रणी मम्यक्तरादी नैनर पडेवर् जैनमार्गाश्रयजलनिधिसंवर्धित पूर्णचन्द्रर् मुदमं क्रोधादि २३ मृ मादुदुधकुंलनिवर विट्टु दर मुल्यमादधिपनखिलकलावल्लभर् कीर्निवेत्तर ताता २१ मादण्डाधिपगलु महजात कुलक्षत्रियराडर सुगलन्त्रयमन्तेन्दोडे स्वस्ति ममविगतपचमहा २५ महिमप्रमिदमात्र वनवासिपुरवराधीश्वर वैजयन्ती - मधुकेश्वरलब्धवरप्रमाद मृगमदामोद गोकर्ण... २६ महाबलेश्वरदिव्यश्रीपादपद्माराधकर परवलमाधकरं हरसिवरवरशूल निगलंकमल चलनकराम राय २७ रगण्ड माहसमल्ल गण्डरडावणि मत्यराधेय माहसोतुग शरणागतचत्रपजर पश्चिमसमुद्राधिपतियप्प हेवे परनृपतामरस पूर्ण चन्द्रनेनिमिट २८ क्षत्रियकुलकमलवनमार्तण्ड बम्पवदेवरसर • देवरसर २८१ ..
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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