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________________ २८२ जैनशिलालेख-संग्रह [३९७२९ राज्यलक्ष्मियेनिसिद चन्द्रपुरबेम्ब पट्टणदोलु राज्यं गेल्युब कालटोल मा भरसुगलिगे पट्टवर्धनवाहत्तरनियो३० गिगल जिनसेव्यर्नु त्रिशक्तिबलयुतनुं षड्गुणसमर्थनुं राजक्षत्रिय चतुईन्त सोमेश्वरदण्डनायक३१ न अन्वयद कीर्तियेन्तेन्टोडे श्रीसोमदण्डपुत्रनु भासुर कामण्ण दण्डनायकनेनिपं सासनचक्र३२ वर्ति धर्मधारक सामन्तं कीर्तिवेतनमलचरित्रं श्रीमत्सोमदण्ड नायकंगे कामार्थ तावु पुट्टिदर् श्रीमद्रामणनेम्व हेग्गडेय३३ सुवेम्बीपुत्रससेव्यक रामं पुष्टिद"दशरथसामध्यदि अपराजिता रमणिग साहित्यरत्नाकरमन्ता३४ रामणनेम्व हेगडे रामगे तां पुहिद शान्तं योजणनम्बिपुन नेनिसल कुन्तीदेवि समन्तु ३५ श्रापाण्डुराजगे तो शान्त धर्मजनेन्तु पुहिद बोला सम्यक्रव रत्नाकरमन्ता योजणसेहिय जननि रामानन्वयमेन्तेन्दोडे३६ वसुधेयोलु नेगलते "असमैश्वर्यसम्पसरु दानगुणसम्पबामप्प नम्बिसेष्टियर तम्मसेडिसहोटररेनिसिद म३७ लिसेहि होनपसष्टि गुणाव्यरं जैनजनबान्धवलं आ सेट्टरोळगे महाधननेनिसिद ना होनपसेहि ३६ शककाल "साविरद मुन्नूर ( अवशिष्ट ६ पक्तियां पढी नही जा सकती।) [ यह लेख शक १३०० में लिखा गया था। गैरसोप्पेके राजा हवेय भूपालके शासनकालमें चन्द्रपुरमे वसवदेवरस शासन कर रहे थे। उनके दो मन्त्री सोमण्ण दण्डनायक और कामण्ण दण्डनायक थे। सोमण्णका पुन रामण्ण था जिसकी पत्नी रामक थी। उनके पुत्रका नाम योजणसटि
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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