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________________ -३६०] लक्ष्मश्वर आदिक लेस २६५ लक्ष्मेश्वर (मैमूर) शक १२१७ = सन् १२१५, संस्कृत-कन्नड [ इस लेखमे पुरिकरके शान्तिनाथ मन्दिरके लिए सोमय-द्वारा कुछ भूमि दान दिये जानेका उल्लेख है । तिथि भाद्रपद शु० ५, सोमवार, शक १२१७ ऐसी दी है। [रि० स० ए० १९३५-३६ क्र० ई २८ पृ० १६३ ] ३५६ मन्नेर मसलवाड ( वेल्लारी, मैमूर) शक १२१९=सन् १२९०, क्वड [यह लेख यादव राजा रामचन्द्रदेवके समय मार्गशिर शु० ५ गुल्वार भक १२१९ हेमलम्बि सवत्सरका है। इसमें महामण्डलेश्वर भैरवदेवरसद्वारा मूलसघ देसिगणके नेमिचन्द्रराउलके शिष्य विनयचन्द्रदेवको भूमि दान दिये जानेका उल्लेख है। यह दान मोसलेवाडके जिनमन्दिरके लिए था निसका जीर्णोद्धार महामण्डलेश्वर सालेवेय तिकमदेव राणेयके मन्त्री सावन्त पण्डितके पुत्र केशव पण्डित-द्वारा किया गया था।] [रि० सा० ए० १९१८-१९ क्र० २५६ पृ० २२] ३६० कोगलि (वेल्लारी, मैसूर ) १३वीं सदी, कन्नड [इम लेखमें होयसल राजा प्रतापचक्रवति रामनाथदेव-द्वारा युव मंवत्मरमें कोगलिके चैन्नपार्श्वजिनमन्दिरके लिए सुवर्णदान देनेका उल्लेख है।] [इ० म० बेल्लारी १९२]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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