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________________ अध्याय-8 8. Muhurat Vichar गृहारंभ हेतु भूमि पूजन के मुहूर्त, भूमि शयन विचार एवं वत्स चक्र, नींव प्रारंभ करने हेतु शुभ काल, गृह निर्माण काल, निषिद्ध वचन, गृह प्रवेश निर्माण मुहूर्त, मशीन बिठाने का मुहूर्त, देव प्रतिष्ठा विचार, देव स्थापना के विशेष लग्न्, देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त, मूर्ति प्रतिष्ठा के मुहूर्त के विषय में विचार, देवी की प्रतिमा प्रतिष्ठा, शत चंडी, सहस्र चंडी एवं लक्ष चंडी के मुहूर्त, प्रतिष्ठा विधान में ग्राह्य नक्षत्रः । गृहारंभ हेतु भूमि पूजन के मुहूर्त : अंग्रेजी में एक कहावत है: Well Begun Half Done. यदि काम सही मुहूर्त में शुरू कर दिया जाए, तो पूरा होने में देर नहीं लगती। नींव का मुहूर्त सही हो, तो मकान फटाफट बन जाता है। इसलिए सबसे पहले भूमि शयन पर विचार करना चाहिए। भूमि शयन विचार एवं वत्स चक्र : सूर्य के नक्षत्र से चंद्रमा का नक्षत्र यदि 5-7-9-12-19-26 वां पड़े, तो भूमि को सुप्त माना जाता है। इन नक्षत्रों में बावड़ी, तालाब या गृह निर्माणादि के लिए भूमि का खोदना वर्जित है। गृहारंभ के नक्षत्रानुसार वृष वास्तु आदि चक्रों में भी शुभाशुभ की परीक्षा की जाती है। यहां वत्स (वृष) चक्र बताया जा रहा है। यह राज मार्तंड में उल्लिखित है। वृषभाकार मान कर निम्न प्रकार से सूर्य के नक्षत्र की स्थापना करनी चाहिए: वृष चक्र स्थान मस्तक | अग्रपाद | पृष्ठपाद | पीठ | दक्षिण कोख वाम कोख पूंछ | मुख नक्षत्र | 3 | 4 | 4 | | 4 4 3 3 फल | अग्नि उद्विग्नता| स्थिरता | धन | विजय विजय | निर्धनता | स्वामी | पीड़ा भय | इस प्रकार शुभ समय देख कर गृह निर्माण करना चाहिए। नींव प्रारंभ करने हेतु शुभ काल : बृहस्पतियुक्त पुष्य नक्षत्र, तीनों उत्तरा, रोहिणी, श्रवण, आश्लेषा, इन नक्षत्रों में गुरुवार के दिन प्रारंभ किया हुआ गृह पुत्र और राज्य देने वाला कहा गया है। अश्विनी, चित्रा, विशाखा, धनिष्ठा, शतभिषा और आर्द्रा नक्षत्र के साथ यदि शुक्रवार 88 नाश http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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