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________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम २५०० वर्ष में प्रथम बार लिखा गया । आप का जीवन प्रेरणाओं से भरपूर जीवन है आप श्री के चरणों में वन्दना दर्शन का लाभ हमें पिछले ३२ वर्षों से प्राप्त होता रहा। हर साल दीक्षा के आयोजन होते । आचार्य श्री आनंद ऋषि व आचार्य देवेन्द्र मुनि जी महाराज का पंजाव में स्वागत करने का उन्हें अवसर मिला । आप की ४०वीं दीक्षा जयंती पर हम ने महाश्रमणी पुस्तक निकाली जिस की भूमिका भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी ने लिखी थी। आचार्य देवेन्द्र मुनि स्वयं उनके अनुशाषण व संयम के प्रशंसक थे। आप का शिष्य परिवार बहुत सेवाभावी समर्पित है । ३ साल वीमार अवस्था में सेवा कर उन्होंने सेवा की उदाहरण स्थापित की है। सभी कार्यक्रम चले हैं। गुरूणी के सेवा भी लगातार हुई है। सभी साध्वीयां सम्पन्न परिवार से संबंधित हैं । पढी लिखी हैं। प्रवचन कर्ता हैं। अच्छी धर्म प्रचारिन तत्ववेत्त व तपस्विनी हैं। 1 सभी साध्वीयां हर समय स्वाध्यायरत रहती हैं सभी अपनी गुरूणी के प्रति समर्पित रही हैं। सारी साध्वीयां अनुशाषित हैं । इन साध्वीयों में तीन साध्वीयों का परिचय देना इस लिए जरूरी है कि वह अपनी गुरूणी के अधूरे कार्य को पूरा करने में सदैव तत्पर रही हैं। इन में प्रमुख हैं साध्वी श्री राजकुमारी जी महाराज, साध्वी श्री स्मृति जी महाराज व साध्वी श्री सुधा जी महाराज । साध्वी श्री राजकुमारी जी महाराज : आप साध्वी स्वर्णकांता की प्रमुख तपस्विनी शिष्या हैं। आप तपस्या के साथ स्वाध्याय करना नहीं भूलती। सदैव गुरू चरणों में समर्पण व सरलता का प्रतीक राजकुमारी जी 270
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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