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________________ थी, उसे देख कर एक अवधिज्ञानी मुनि बोले - "देखो, कर्म की विचित्रता ! यह लड़की कुछ वर्षों पश्चात् राजा की पटरानी बनेगी।" मुनिराज की यह बात एक बौद्ध भिक्षुक ने सुनी और वे उसे अपने मठ में ले गये। इस लड़की का नाम बुद्धदासी रख कर वहीं उसका लालन-पालन होने लगा । उसे बौद्धधर्म के संस्कार मिले। आगे चल कर जब वह युवा हुई, तब उसका अत्यन्त सुन्दर रूप देखकर राजा मोहित हो गया और उसने उससे शादी करने की माँग की, परन्तु इस राजा की उर्मिला नाम की रानी थी, जो जिनधर्म का पालन करती थी । तब मठ के लोगों ने कहा“राजा स्वयं बौद्धधर्म स्वीकार करे और बुद्धदासी को पटरानी बनाये। इस शर्त पर ही हम शादी करने की स्वीकृति देंगे।" कामान्ध राजा ने बिना सोचे-समझे ही यह बात स्वीकार कर ली । और बुद्धदासी को पटरानी बना दिया। वह बौद्धधर्म का प्रचार करने लगी। इधर उर्मिला रानी जिनधर्म की परम भक्त थी । उसने हर साल की तरह इस साल भी अष्टाह्निका पर्व में जिनेन्द्र भगवान् की बहुत बड़ी अद्भुत शोभायात्रा निकालने की तैयारी की, परन्तु बुद्धदासी को यह सहन नहीं हुआ। उसने राजा से कहकर रथयात्रा स्थगित करवा दी और बौद्धों की रथयात्रा पहले निकलवाने को कहा । जिनेन्द्र भगवान् की रथयात्रा में विघ्न होने से उर्मिला रानी को बहुत दुःख हुआ और रथयात्रा नहीं निकलने से उसने अनशन व्रत धारण करके वन में जाकर सोमदत्त तथा वज्रकुमार मुनियों के सानिध्य में शरण ली। उसने मुनिवरों से प्रार्थना की कि वे जिनधर्म पर आये संकट का निवारण करें । रानी की बात सुनकर वज्रकुमार मुनिराज के अन्तर में धर्मप्रभावना का भाव उल्लसित हुआ । उसी समय विद्याधर राजा दिवाकर अपने विद्याधरों सहित वहाँ मुनियों के दर्शन - वन्दन करने आये । वज्रकुमार मुनि 602 2
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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