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________________ प्रकार से उत्तर देकर बादशाह को संतुष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन राजा संतुष्ट नहीं हुआ। अन्त में निर्णय हुआ कि भारत जाकर किसी बादशाह से ही इसका उत्तर पूछा जाये। निर्णय के अनुसार बादशाह ने पाँच सौ सुभटों को भारत के एक बादशाह के पास उत्तर प्राप्त करने के लिये भेज दिया। सुभटों ने आकर यथायोग्य सम्मानपूर्वक बादशाह के सामने अपना प्रश्न रखा। बादशाह ने कहा- "पहले आप अपनी थकान आदि तो दूर कर लें" यह कहकर प्रश्न टाल दिया। सुभटों ने फिर वही प्रश्न किया तो बादशाह ने कहा- “जहाँ आप लोग रुके हैं उस मकान के सामने एक बरगद का वृक्ष है। जिस दिन वह जलकर भस्म हो जायेगा, उस दिन मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे दूंगा।" सुभटों के मन में यह सुनकर तनाव उत्पन्न हो गया कि हम अपने बच्चों-पत्नी आदि से नहीं मिल सकेंगे, अपने देश नहीं जा सकेंगे। अब हमें भारत में ही मरना पड़ेगा। क्योंकि यह हरा-भरा इतना बड़ा वृक्ष कभी जल नहीं सकता, वृक्ष के जले बिना बादशाह हमारे प्रश्न का उत्तर नहीं देगा और उत्तर प्राप्त किये बिना हम अपने देश नहीं लौट सकते। इस टेंशन के कारण रात-दिन जब भी वे उस वृक्ष को देखते तो सोचते रहते कि हे भगवान्! यह वृक्ष कब जलेगा........... | आखिर उन पाँच सौ सुभटों की दुर्भावनाओं के कारण छह माह में ही वह वृक्ष जलकर भस्म हो गया। वृक्ष को जला देख सुभट खुशी से बादशाह के पास पहुँचे। बादशाह ने कहा- “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। भारत की प्रजा अपने बादशाह के प्रति हमेशा सदभावनाएँ रखती है, उसके अधिक-से-अधिक जीने की कामनाएँ करती है। उसका कारण यह है कि भारत के बादशाह अपनी प्रजा के साथ पुत्र के समान वात्सल्य भाव रखते हैं। वात्सल्य का अर्थ है सच्चा निःस्वार्थ प्रेम। जिसमें कोई दिखावटी या बनावटीपन नहीं रहता। साधर्मी को एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम होता है, 10577_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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