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________________ जैसा माँ का अपने पुत्र पर, गाय का अपने बछड़े पर। ___फ्रांस में एक साधु हुआ है। विश्व इतिहास में उसका नाम बड़े आदर से लिया जाता है। उसका नाम “मंसूर" था। विश्व के अन्य किसी दार्शनिक का ऐसा अन्त नहीं हुआ, जैसा "मंसूर" का। कहते हैं कि सबसे पहिले उसके पैर काटे गये और पूछा गया- “अब तुम्हें कुछ कहना है?" मंसूर ने कहा- " प्रेम ही जीवन है।" फिर उसके हाथ काटे गये । मंसूर ने कहा- "प्रेम ही जीवन है।" सुना है एक-एक अंग काटा जाता रहा और पूछा जाता रहा और अंत में जीभ काटने के पूर्व पूछने पर भी मंसूर ने अन्तिम शब्द "प्रेम" ही कहा। हृदय प्रेम से, वात्सल्य से भर चुका है तो प्राणों की परवाह किसे? वात्सल्य शब्द "वत्स" से बना है। वत्स का अर्थ है- बछड़ा। जिस प्रकार गाय अपने बछड़े के प्रति निश्छल और सच्चा प्रेम रखती है, उसी प्रकार प्रेम-वात्सल्यभाव धर्मात्माओं के प्रति होना अपने भीतर धर्मभाव के होने की सूचना देता है। गाय का रोम-रोम अपने बछड़े को देखकर पुलकित हो उठता है, मन हर्ष से झूम उठता है। इसी तरह एक सम्यग्दृष्टि का हृदय दूसरे धर्मात्मा को देखकर पुलकित होता है। जिसका मन प्रेम/वात्सल्य से भरा होता है, उसके मन में कभी द्वेष का भाव नहीं आता। एक कथा है- दो साधु साथ-साथ जीवन यापन करते थे। अनायास एक के मन में द्वेष उत्पन्न हुआ। उसने एक दिन अपने साथ वाले छोटे साधु से कहा- अब हम लोग अलग-अलग भिक्षावृत्ति करेंगे, साथ नहीं रहेंगे। छोटा सरल था, प्रेम से भरा था। उसने सहज उत्तर दिया- "जैसा आप ठीक समझें।" बड़े ने कहा- "हमारे पास एक सोने का बर्तन है, क्या करना है उसका?" छोटे ने फिर दुहरा दिया- "जैसा आप ठीक समझें।" बड़े ने कहा- "इसे तुम रख लो।" छोटे ने कहा- "ठीक है।" बड़ा 0 578_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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