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________________ उसकी सर्वांगसुन्दरी नाम की एक कन्या थी। एक दिन एक चोर रात्रि के समय राजमहल में चोरी करने गया और राजा के कमरे के पास छिपकर बैठ गया। सोने के कमरे में रानी राजा के पास आयी और बातें करने लगी। चोर भी राजा-रानी की बात कान लगाकर सुनने लगा। रानी ने राजा से वार्तालाप के प्रसंग में कहा-“राजन्! अपनी पुत्री विवाह योग्य हो गयी है और आप उसके विवाह के योग्य कोई वर नहीं देखते। आखिर राज्य के कार्यों की तरह यह कार्य करना भी तो आवश्यक है।" राजा ने कहा कि – “पुत्री के लिए मुझे धनिक या राजपुत्र नहीं देखना है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति प्रायः चारित्रहीन और दुर्व्यसनी होते हैं। मैं तो पुत्री के लिए सुन्दर, सदाचारी, स्वस्थ, साधुपुरुष देखूगा। पुत्री का विवाह करके उसको अपना आधा राज्य दे दूंगा। धन व राज्य की अपेक्षा मैं सदाचार को विशेषता देता हूँ। रानी ने कहा- "आपका विचार तो ठीक है, परन्तु यह कार्य शीघ्र करना चाहिए।" राजा ने कहा कि मुझे अगर कल ही ऐसा वर मिल गया तो मैं कल ही पुत्री का विवाह कर दूंगा। रानी सन्तुष्ट होकर सोने चली गयी। चोर ने विचार किया कि अपने भाग्य की परीक्षा करूँ। यदि राज्य व कन्या मुझे मिल जाए, तो सब दुःख दूर हो जायेंगे। ऐसा विचार कर वह बिना चोरी किये ही राजमहल से वापिस चला गया और प्रातः होते ही आपना रूप र्मिक साधु का बनाकर एक स्वच्छ स्थान पर बैठा, जहाँ पर राजा प्रतिदिन आता-जाता था। उसने मार्ग में साधु भेषधारी तरुण चोर को देखा, तो राजा को रात की बात याद आ गयी। उसने इस साधु भेषधारी तरुण चोर को देखकर विचार किया कि पुत्री के लिए यह वर उपयुक्त होगा। ऐसा विचार करके उसने उसे बड़े सम्मान से रथ में बैठा लिया और राजमहल में ले गया। चोर बहुत प्रसन्न हुआ कि मेरा प्रयत्न सफल हो गया। तदनन्तर उसने विचारा कि मैंने बनावटी रूप से साधुरूप बनाया, उसका फल मुझे यह मिला। यदि मैं सचमुच साधु बन जाऊँ, तो सदा के लिए परम सुखी/मुक्त हो जाऊँगा। इस कारण अब मेरी परीक्षा का समय है। इसमें मुझे फेल नहीं होना चाहिए। राजा उस साध को लेकर राजमहल में पहुँचा। उसे सम्मान के साथ ऊँचे आसन पर बिठाया। रानी ने भी उसे पसन्द कर लिया। तब राजा ने उससे निवेदन किया कि आप 0 274_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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