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________________ अच्छा-अच्छा खाने को मिलेगा । वह घर में अपनी पत्नी से कहकर चला गया एवं ससुराल में जा पहुँचा। सास ने सामने जमाई को आते देखा तो बाह्य में दिखावटी आनन्द मनाने लगी एवं मन में विचार करने लगी कि आज कोई ऐसी चाल चली जाये, जिससे जमाई के लिये खीर, जलेबी वगैरह न बनानी पड़ें। लोभी सास अपने जमाई के पास आकर अपनी बेटी का समाचार पूछने लगी और कहने लगी-जमाई साहब! आप इतने कमजोर क्यों हो गये? क्या कोई पेट में दर्द वगैरह है? आप उदास भी दिख रहे हो। आप बिलकुल किसी बात की चिन्ता मत करो। मैं आपके लिए बिलकुल हल्का भोजन बनाऊँगी। कुछ ही समय में सास ने खिचड़ी बनाकर जमाई को भोजन करने के लिए बिठा दिया । जमाई सोचते हैं- अरे! यहाँ तो केवल खिचड़ी मिल गई और इसमें घी भी नहीं । सास ने कहा- जमाई साहब! आप भोजन धीरे-धीरे क्यों कर रहे हैं? क्या खिचड़ी गर्म है? अरविन्द कुमार ने कहा कि नहीं, मेरी माँ जब भी खिचड़ी बनाती है तो उसमें घी भी डालती है। सास ने उसी समय पास में रखे हुये घी के बर्तन को थाली में उल्टा कर दिया, परन्तु घी की एक बूँद भी नहीं गिरी, क्योंकि घी जमा हुआ था । जमाई की बुद्धि तेज थी । उन्होंने सास से पीने के लिए पानी माँगा । वह जब तक पानी लेने अन्दर गई, उसने घी का बर्तन जलती हुई आग के ऊपर गर्म करके रख दिया । और फिर से धीमें-धीमें भोजन करना शुरू कर दिया तो वह कहने लगी कि घी और दूँ क्या? जमाई ने हाँ भर दी। उसने जैसे - ही घी का बर्तन उल्टा किया, उसी समय सारा घी थाली में गिर गया। सास के मन में बड़ा धक्का लगा कि अब क्या करना चाहिये? सास जमाई से कहने लगी कि हमारे यहाँ की रीति है कि सास जमाई के साथ बैठकर भोजन करती है। उसने कहा- 'कोई बात नहीं, बैठ जाइये ।' सास कहने लगी कि लालाजी! आपकी माँ मेरी बेटी को गाली देती है, लड़ती है तो आप अपनी माँ को समझाते नहीं? ऐसा कहते हुये सब घी अपनी ओर कर लेती है। लालाजी ने कहा कि आपकी बेटी को घर की बात बाहर नहीं बताना चाहिये, घर की बातें घर में ही इस तरह पी जाना चाहिये- थाली उठाई और सब घी को पी लिया। सास देखती रह गई । 111 S
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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