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________________ पूज्य बटेरायजी का स्वर्गवास १९९ पूज्य गुरुदेव बूटेरायजी ने गणि मूलचन्दजी के साथ यह चतुर्मास अहमदाबाद में किया । पूज्य आत्मारामजी महाराज ने गत चतुर्मास में गुरुदेव बूटेरायजी महाराज से बम्बई जाने की आशा मांगी थी । तब गुरुदेव ने जवाब दिया कि "जिसको संयम की खप हो उसे बम्बई नहीं जाना चाहिये।" यह जानकर आपने बम्बई जाने का विचार छोड दिया और पुन: पालीताना की तरफ विहार किया। अतः आप अपने जीवनकाल में कभी भी बम्बई नहीं गये । चतुर्मास समाप्त होने के बाद महाराजश्री आत्मारामजी अपने शिष्य - परिवार के साथ वोहरा अमरचन्द जसराज झवेरचन्द की तरफ से छरी पालते संघ के साथ संघपति की विनती को स्वीकार करके तीर्थयात्रा के लिये पधारे । तलाजा, दाठा, महुआ, दीव, प्रभास - पाटन, वेरावल, मांगरोल आदि स्थानों में देव - दर्शन करते हुए जूनागढ में गिरनार तीर्थ की यात्रा की वहाँ से सिद्धाचलजी की यात्रा कर संघ के साथ आप पुनः भावनगर पधारे । 1 यहाँ से आपने पंजाब की तरफ विहार कर दिया । और वि० सं० १९३४ (ई० स० १८७७) का चौमासा जोधपुर में करके वि० स० १९३५ (ई० स० १८७८) का चौमासा लुधियाना (पंजाब) में जाकर किया। पूज्य बूटेरायजी का स्वर्गवास पूज्य बूटेरायजी की आयु इस समय ७० वर्ष की हो चुकी थी। आप अपना सारा समय तपस्या और ज्ञान - ध्यान में ही व्यतीत करने लगे । आपने अब अहमदाबाद में सेठ दलपतभाई भगुभाई के वंडे Shrenik/D/A-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013) / (1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [199]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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